करोड़ों रुपये गबन मामले में प्रथम अपीलीय प्राधिकार में सात विभाग पर हुई सुनवाई

छातापुर पीएचसी प्रभारी द्वारा प्रसूता व उसके परिजनों के साथ कथित तौर पर किये गए अभद्रतापूर्ण व्यवहार को ले मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मामले को ले जनअधिकार पार्टी (लो) के जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार यादव ने सिविल सर्जन को पत्र प्रेषित कर सम्बंधित पीएचसी प्रभारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कारवाई की मांग की है। उन्होंने 4

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 06:41 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 06:41 PM (IST)
करोड़ों रुपये गबन मामले में प्रथम अपीलीय प्राधिकार में सात विभाग पर हुई सुनवाई
करोड़ों रुपये गबन मामले में प्रथम अपीलीय प्राधिकार में सात विभाग पर हुई सुनवाई

जागरण संवाददाता, सुपौल: कोसी प्रमंडल के आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार ने भ्रष्टाचार मुक्त सुपौल जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह द्वारा दायर अपील में भ्रष्टाचार एवं करोड़ों रुपये के गबन से संबंधित सात विभाग से संबंधित आठ मामले की सुनवाई बुधवार को किया। सुनवाई के दौरान जिले के विभिन्न विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी ने भाग लिया। परिवादी ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुपौल के द्वारा पारित अंतिम आदेश का अनुपालन लोक प्राधिकार जिला स्तरीय पदाधिकारी के द्वारा नहीं किए जाने से संबंधित प्रथम अपील आयुक्त कोसी प्रमंडल सहरसा के समक्ष दायर किया है। अपीलीय प्राधिकार ने कई मामलों में जिला पदाधिकारी से प्रतिवेदन की मांग की है।

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बाढ़ राहत में 28 करोड़ का गबन

ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने जिलाधिकारी सुपौल को 15 मई 2014 को अ‌र्द्धसरकारी पत्र लिख कर कहा है कि सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड के अंकेक्षण के क्रम में महालेखाकर के लेखा परीक्षक द्वारा तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधहकारी सह अंचलाधिकारी अभिनव भास्कर के कार्यकाल में 28 करोड़ रुपये के गबन की राशि का उल्लेख किया है। जिलाधिकारी सुपौल को जिला स्तर से एक विशेष दल गठित कर समुचित कार्रवाई करते हुए 15 दिनों के अंदर प्रतिवेदन विभाग को भेजने का आदेश दिया। जिलाधिकारी के द्वारा गठित जांच दल ने 30 जुलाई 2014 को जांच प्रतिवेदन समर्पित कर करोड़ों रुपये के बाढ़ राहत में गबन को प्रमाणित करते हुए आवश्यक कार्रवाई का अनुशंसा की। लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक सभी दोषी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने के कारण भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर किया है।

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2 करोड़ 81 लाख का अल्पसंख्यक छात्रवृति घोटाला

केंद्र प्रायोजित प्री मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृति योजना में वित्तीय वर्ष 2008-09 से 2012-13 तक जिला में 2 करोड़ 81 लाख 13 हजार 625 रुपये का गबन किया गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी के आदेश पर गठित जांच दल ने जिले के 4 जिला शिक्षा पदाधिकारी को दोषी मान प्रधान सचिव ने उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई, अनुशासनिक कार्रवाई, प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जिला पदाधिकारी सुपौल को दिया। लेकिन आज तक दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। जिसकी शिकायत परिवादी अनिल कुमार सिंह ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष की है।

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स्वास्थ्य विभाग में 44 करोड़ की अनियमितता

राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के कार्यपालक निदेशक सह स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने जिलाधिकारी सुपौल को 14 मई 2013 को पत्र लिख कर कहा है कि लेखा जांच के दौरान जिला स्वास्थ्य समिति में बड़े पैमाने की वित्तीय अनियमितता उजगार हुई है। त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल, जननी बाल सुरक्षा योजना, बच्चों का स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम, परिवार नियोजन ऑपरेशन, दवा क्रय आदि में लगभग 44 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई है। जिलाधिकारी के अंकेक्षण प्रतिवेदन उल्लेखित कंडिकावार वित्तीय अनियमितता की सम्यक जांच करा कर दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया। जिलाधिकारी के आदेश पर गठित जांच कमेटी ने 27 मई 2013 को जांच प्रतिवेदन समर्पित कर कार्रवाई की अनुशंसा की। लेकिन 6 वर्ष बीत जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर परिवादी ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर किया।

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9 करोड़ खर्च, नगरवासी को एक बूंद पानी नसीब नहीं

सुपौल नगरपरिषद अंतर्गत नल-जल योजना का कार्य बिहार राज्य जल पर्षद पटना द्वारा कराया जा रहा था। अब यह कार्य बुडको द्वारा किया जा रहा है। 28 वार्ड में से 16 वार्ड में नल-जल योजना का कार्य पूरा करना है। फेज 2 में लक्ष्य 3853 के विरुद्ध मात्र 259 घरों में नल-जल का कार्य किया गया है। लेकिन 7 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद एक भी बूंद पानी शहरवासी को नहीं मिला है। जबकि लगभग 9 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है।

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कार्यालय घोटाला

ग्रामीण कार्य विभाग पटना के द्वारा 7 मार्च 2012 को कार्यालय का पुनर्गठन किया। जिसके तहत सुपौल जिला में 3 कार्य प्रमंडल 11 अवर प्रमंडल तथा 25 कार्य प्रशाखा खोलने का निर्णय लिया गया। अप्रैल 2012 से ही नए कार्यालय को खोलने एवं उनके नाम में ही अभियंताओं का पदस्थापना करने का आदेश दिया गया। सुपौल जिला में 3 कार्य प्रमंडल सुपौल, वीरपुर एवं त्रिवेणीगंज का कार्यालय तो खुल गया लेकिन 36 अवर प्रमंडल एवं प्रशाखा कार्यालय आज तक नहीं खोला गया। जबकि संबंधित कार्यालय में पदस्थापित अभियंताओं के नाम पर करोड़ों रुपये के वेतन निकासी की जा रही है।

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अवैध महिला हेल्पलाइन

महिला विकास निगम पटना ने 10 अगस्त 2015 को जिलाधिकारी सुपौल को पत्र लिख कर एनजीओ द्वारा संचालित महिला हेल्पलाइन को बंद करते हुए जिलाधिकारी के नियंत्रण में लेने का आदेश दिया। जिलाधिकारी ने 13 अगस्त 2015 को आदेश जारी कर कोसी पीड़ित महिला विकास मंडल मरौना द्वारा संचालित महिला हेल्प लाइन को रद करते हुए जिला प्रशसन से संबद्ध करते हुए चलाने का आदेश डीपीओ को दिया। लेकिन सुपौल जिला प्रशासन ने महिला हेल्पलाइन को अपने अधीन तो कर लिया लेकिन एनजीओ के कर्मी को सरकारी निर्देश का उल्लंघन कर जिला प्रशासन का कर्मी मान कर वेतन देना प्रारंभ कर दिया है। जिस मामले को लेकर परिवाद दाखिल किया गया।

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