वैदिक रीति-रिवाज से अड़राहा में होती है माता की पूजा

संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) राघोपुर प्रखंड के अड़राहा गांव में स्थित दुर्गा मंदिर मे

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 12:22 AM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 12:22 AM (IST)
वैदिक रीति-रिवाज से अड़राहा में होती है माता की पूजा
वैदिक रीति-रिवाज से अड़राहा में होती है माता की पूजा

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): राघोपुर प्रखंड के अड़राहा गांव में स्थित दुर्गा मंदिर में पिछले तीन दशक से माता दुर्गा की पूजा होते आ रही है। यहां ग्रामीणों की समर्पणता भगवती की आराधना में झलकती है। अड़राहा गांव में मंदिर स्थापना की कहानी भी बड़ी रोचक है। करीब तीन दशक पूर्व 1992 में गांव के वार्ड नंबर-16 में अवस्थित लक्ष्मी स्थान के प्रांगण में समाज के सहयोग से सतचंडी यज्ञ किया गया था। ये यज्ञ नौ दिनों तक चला। ग्रामीण बताते हैं कि यज्ञ के दौरान इस गांव में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। इस यज्ञ में माताजी को आह्वान कर लाया गया था और उनकी स्थापना की गई थी। यज्ञ के समाप्ति के बाद माता की प्रतिमा विसर्जन कर जल में प्रवाहित कर दी गई। लेकिन बुजुर्गों की माने तो माता गांव से गई ही नहीं और उसी प्रांगण में निवास करने लगी। धीरे-धीरे माता के अ²श्य रूप का अहसास कई बुजुर्गों ने किया। इसके बाद गांव में बुजुर्गो की बैठक हुई, जिसमें पंडित शोभाकांत मिश्र, पंडित जनार्दन ठाकुर, वेदानद झा, प्रताप नारायण झा, कृपानंद ठाकुर, भोलाकांत झा, जयनंदन झा समेत कई बुजुर्ग शामिल हुए। फिर इन लोगों ने माता की स्थापना करने का निर्णय लिया और इनके इस निर्णय पर अभिभावक के रूप में पंडित दयानंद मिश्र , तारानंद झा एवं दीनबंधु झा का इनको भरपूर सहयोग मिला। तभी से यहां देवी माता की पूजा होने लगी। स्थापना काल से मंदिर में पंडित के रूप में सहयोग प्रदान कर रहे पंडित उदयकांत झा बताते हैं कि यहां सच्चे मन से मैया के पास जो भक्त आते है। उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है। अभी इस पूजा में युवा भी अपनी भूमिका जोर-शोर से निभाते हैं। पूजा समिति के अध्यक्ष सर्वेश झा, पुजारी मिथिलेश झा, आचार्य विनोदानंद झा, भोला झा, पुलकित झा , उदित झा , पंकज झा, जवाहर झा, कृष्णकांत झा समेत कई लोग पूजा संपादन कराने में अहम योगदान दे रहे हैं।

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