बच्चों को दी गई कोरोना और आपदा से बचाव की जानकारी

संवाद सूत्र किशनपुर (सुपौल) मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत प्रखंड मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्य

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 11:52 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 12:45 AM (IST)
बच्चों को दी गई कोरोना और आपदा से बचाव की जानकारी
बच्चों को दी गई कोरोना और आपदा से बचाव की जानकारी

संवाद सूत्र, किशनपुर (सुपौल): मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत प्रखंड मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय किशनपुर में शनिवार को विद्यालय प्रधान डा. राजीव कुमार की अध्यक्षता में बच्चों को कोरोना सहित अन्य बीमारी व आपदा के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान उन्होंने बताया कि कोरोना ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। हमें धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए। मानसिक तनाव से दूर रहना चाहिए। अफवाहों से भी बचना बहुत जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए विज्ञान शिक्षक जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह साप्ताहिक कार्यक्रम मेंटल हेल्थ फोर आल, लेट्स मेक इट अ रियलिटी' थीम के साथ पूरी दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया है। कोरोना ने हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है। कहा कि वे खुद कोरोना से ग्रसित हो गए थे लेकिन आत्मविश्वास और समुचित इलाज के कारण ही स्वस्थ हुए। कोरोना का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा था। किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी तंदुरुस्त रहना जरूरी है। अगर हमारे शरीर में किसी प्रकार की बीमारी होती है तो समुचित इलाज के लिए चिकित्सक के पास जाते हैं परंतु मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या करते हैं, यह सोचना पड़ेगा। क्या हम मनोचिकित्सक या अनुभवी विशेषज्ञ के पास जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 7.5 फीसद आबादी मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित है। खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण व्यक्ति अपना संपूर्ण योगदान कार्यों में नहीं दे पाता है। परिणामत: आर्थिक गतिविधि भी प्रभावित होती है और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। तनाव, अवसाद, डिस्लेक्सिया, भूलने की बीमारी, आब्सेसिव लव डिसऑर्डर, पार्किंसन, एचडीएचडी आदि प्रमुख मानसिक बीमारी है। पिछले दो वर्षों से कोरोना ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी। करोना पेंडेमिक बीमारी के साथ-साथ इंफोडेमिक भी है जो गलत सूचनाओं के प्रचार-प्रसार से भी फैलती है । कोविड-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव हर वर्ग पर पड़ा जैसे विद्यार्थी, शिक्षक, किसान ,व्यापारी, सरकारी सेवक, निजी कंपनी में कार्य करने वाले लोग या अन्य। इस संकट से उबरने में कोरोना वारियर्स, डाक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी, वैज्ञानिकों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षिका गुंजन कुमारी ने अपना अनुभव साझा किया और कहा कोविड-19 के दौर में मुझे खुद के साथ-साथ पूरे परिवार और समाज की भी चिता थी। मौत का आंकड़ा डराता था परंतु मैंने अपना ध्यान रचनात्मक कार्यों जैसे योग, कविता लेखन, पेंटिग, पुस्तक पाठन में लगाया। इस प्रकार, आत्मविश्वास और मजबूत हुआ और कोरोना के भयावह दौर से बाहर निकल पाए। विद्यालय में बच्चे खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें इसके लिए लेट्स टाक हैप्पीनेस जोन बनाया गया। वहां छात्र छात्राओं ने कोरोना के नकारात्मक प्रभाव पर अपना अनुभव साझा किया। इस अवसर पर बच्चों ने पेंटिग प्रतियोगिता, स्वरचित काव्य पाठ स्लोगन लेखन आदि गतिविधियों में हिस्सा लिया। स्लोगन लेखन में प्रथम स्थान नवम की छात्रा अंजली कुमारी, कविता कुमारी, प्रिया पटेल, द्वितीय स्थान दीपिका कुमारी और पेंटिग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रिया पटेल, द्वितीय स्थान श्वेता कुमारी, तृतीय स्थान आशुतोष कुमार तथा सावित्री कुमारी, मनीषा कुमारी, नसरीन परवीन, फरजाना परवीन, आयुषी कुमारी, ममता कुमारी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। कोरोना का नकारात्मक प्रभाव पर अपना अनुभव संजीत कुमार, परितोष कुमार सिंह, प्ररेणा कुमारी, सोनम कुमारी, शिवानी कुमारी ने रखा। मौके पर शिक्षक-शिक्षिका विनीता कुमारी, सुवीर कुमार, रोहित कुमार कुश, रामकृष्ण चौपाल, प्रणिता कुमारी, जितेंद्र कुमार, बुद्धदेव पासवान, संजीव कुमार, सुमन सौरभ, योगेंद्र कुमार योगेश, राजन कुमार, राजेंद्र कुमार झा, गुंजन कुमारी, अनु कुमारी, प्रमोद कुमार पंकज, महबूब आलम, कोमल कुमारी, मंजू कुमारी, इनामुल हक आदि उपस्थित थे।

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