नामांकन खत्म होते ही छातापुर में बढ़ने लगी राजनीतिक सरगर्मी

संवाद सूत्र बलुआ बाजार (सुपौल) पंचायत चुनाव को लेकर छातापुर प्रखंड में नामांकन की प्रक्रि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 05:29 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 05:29 PM (IST)
नामांकन खत्म होते ही छातापुर में बढ़ने लगी राजनीतिक सरगर्मी
नामांकन खत्म होते ही छातापुर में बढ़ने लगी राजनीतिक सरगर्मी

संवाद सूत्र, बलुआ बाजार (सुपौल): पंचायत चुनाव को लेकर छातापुर प्रखंड में नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। इसके साथ ही प्रखंड क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि कुर्सी बचाने के लिए अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को परोसने व जनता को एक बार फिर से अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। विरोधी निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को दागदार बताकर अपना सिक्का जमाने का प्रयास करने में लगे हैं। इधर जनता दावेदारों की बातों को सुन चुप्पी साधे हुए हैं। खासकर प्रखंड क्षेत्र के लक्ष्मीनियां, बलुआ व मधुबनी में विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने वाले निवर्तमान व नये उम्मीदवार अपनी जीत को लेकर ताल ठोंकना शुरू कर दिया है। जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य से लेकर पंच पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की चहलकदमी शुरू हो चुकी है। विभिन्न पंचायतों में संभावित उम्मीदवार इंटरनेट मीडिया के भी माध्यम से प्रचार-प्रसार करने लगे हैं। पुराने के साथ-साथ नये चेहरे भी ताल ठोकने को आतुर हैं। छातापुर प्रखंड क्षेत्र में आठ अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में चर्चाएं भी तेज होने लगी है। मालूम हो कि पंचायत चुनाव के दौरान दुर्गा पूजा भी होनी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि चुनाव के दौरान यह पर्व काफी उत्साहजनक होगा। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों से लेकर पुराने दावेदारों के बीच नये-नये दावेदार भी सामने आने लगे हैं। राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता भी पंचायत चुनाव के दंगल में कूदने को तैयार हैं। कुल मिलाकर पंचायतों में चुनाव को लेकर चौपाल सजने लगी है। इन चौपालों में ग्रामीण कर्मठ और ईमानदार प्रत्याशी को वोट देने का मन बना रहे हैं। चाय-पान की दुकानों से लेकर चौक-चौराहों पर संभावित उम्मीदवारों की चर्चा हो रही हैं। उम्मीदवार वोटरों का मन टटोल रहे हैं। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली की जहां खूब चर्चा हो रही है। विरोधी उनके खामियों को गिनाने में भी एक कदम आगे चल रहे हैं।

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