अभिषेक हत्याकांड में 72 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली

संवाद सूत्र राघोपुर (सुपौल) थाना क्षेत्र के सिमराही बाजार दवा व्यवसायी रोशन साह के पुत्र अभि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 12:32 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:32 AM (IST)
अभिषेक हत्याकांड में 72 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली
अभिषेक हत्याकांड में 72 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली

संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल): थाना क्षेत्र के सिमराही बाजार दवा व्यवसायी रोशन साह के पुत्र अभिषेक कुमार उर्फ रवि कुमार की हत्या के 72 घंटे बाद भी पुलिस का हाथ खाली है। इधर मृतक के स्वजन अपने निर्दोष पुत्र को न्याय दिलाने के लिए टकटकी लगाए हैं। वहीं इलाके में लगातार हो रही इस तरह के घटना से लोग डर के साये में जी रहे हैं। शाम ढलते ही बाहर काम पर गए लोगों को घरवालों का फोन बजने लगता है। शाम ढलने से पहले व्यवसायी अपनी अपनी दुकानें बढ़ाने लगते हैं। ज्ञातव्य हो कि सोमवार की शाम प्रतापगंज थाना क्षेत्र के दुअनिया पुल के समीप दवा व्यवसायी के इंजीनियर पुत्र को अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। ऐसा नहीं था कि इलाके के लिए यह कोई नई घटना थी करीब एक सप्ताह पूर्व उसी स्थान पर उसी स्टाइल में पूर्व प्रमुख सह राजद नेता भूपनारायण यादव के छोटे भाई रंजीत कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस घटना में भी पुलिस को फिलहाल कहने के लिए कुछ भी नहीं है। दिलचस्प तो ये है कि दोनों घटना के बाद जब लोग आंदोलित हो उठे, अपनी सुरक्षा पर सवाल उठाने लगे तो पुलिस के पदाधिकारियों ने उनसे महज 48 घंटे का समय मांगा। अब तो लोग सवाल उठाने लगे हैं कि कहीं तत्काल आक्रोश टालने के लिए नहीं तो यह आश्वासन दिया जा रहा है। पूर्व में घटी उस हृदय विदारक घटना के बाद पुलिस यदि सजग हुई होती तो क्या उसी जगह पर अपराधी दोबारा इस तरह की घटना को अंजाम देने की हिम्मत जुटा पाता।

-----------------------------

कहते हैं लोग

पुलिस के कार्य शैली पर अंगुली उठाते स्थानीय लोग कहते हैं कि एक जमाना था जब मुखबिर के जरिए बड़ी-बड़ी घटनाओं की साजिश की सूचना हासिल कर अपराधी को घटना के अंजाम देने से पहले गिरफ्तार कर लिया जाता था। क्षेत्र में कहां आपराधिक घटना होनी है इसकी भनक पहले ही पुलिस को मिल जाती थी। उस समय चौकीदार तक अपराध के प्रति चौकस होते थे। और अपराधियों के बारे में पूरी जानकारी रहती थी। वहीं इस ई युग के पुलिस को क्या हो गया है। इसे किसकी नजर लग गई है। बड़ी-बडी घटनाओं के सुराग अर्से तक नहीं मिल पाता है। लोग पुलिस को किसी तरह की जानकारी देने से क्यों कतराते हैं। पुलिस लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाने में कामयाब क्यों नहीं हो पा रही है। आज पुलिस की नाकामयाबी से इलाके में अपराध की काली साया मंडरा रही है। लगता है यहां कहीं कोई बड़ा संगठित गिरोह तो नहीं सक्रिय हो गया है।

chat bot
आपका साथी