सहेज लो हर बूंद:::::उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे तालाब

संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) पुराने जमाने में पोखर व तालाब लोगों के आन-बान व शान का

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 05:04 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 05:04 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद:::::उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे तालाब
सहेज लो हर बूंद:::::उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे तालाब

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल) : पुराने जमाने में पोखर व तालाब लोगों के आन-बान व शान का प्रतीक होता था। तालाबों से लोगों की हैसियत का आकलन किया जाता था। लेकिन पुराने जमाने के लोगों के जाने के साथ ही उनके इस हैसियत का भी अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। सरकारी स्तर पर संचालित तालाब के साथ-साथ निजी तालाबों की भी दुर्दशा हो रही है। आधुनिक मानव भले ही विकास के इस दौर में नए-नए आविष्कार कर अपने को बहुत ही सभ्य एवं विकसित समझ रहे हैं, लेकिन उन्हें शायद यह पता नहीं है कि पुराने जमाने के लोगों की सोच शायद उनसे ज्यादा विकसित थी। तभी तो वे जल को संरक्षित व पर्यावरण को सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण साधन तालाब खोदवाते थे।

मौजूदा समय में लोगों की उपेक्षा के चलते तालाबों का स्वरूप बिगड़ गया है। वर्तमान समय में तालाबों के संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है। लोगों की नकारात्मक सोच के कारण धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने का महत्वपूर्ण जगह एवं जल संरक्षण का मुख्य आधार तालाब दुर्दशा की भेंट चढ़ रहा है। कोसी के इस इलाके में जल संरक्षण का मुख्य माध्यम तालाब को ही माना जाता है। लेकिन लोगों के नकारात्मक सोच के कारण तालाबों का शोषण जारी है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में भी अब तालाबों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। कहीं अतिक्रमण तो कहीं उपेक्षा के चलते तालाब अस्तित्व खो रहा है। वहीं जल संचय न होने से पेयजल का संकट भी गहराता जा रहा है। ऐतिहासिक महत्व से लेकर साधारण तालाब भी दिन-प्रतिदिन सिकुड़ते चले जा रहे हैं। करजाईन पंचायत क्षेत्र के बसावनपट्टी गांव स्थित तालाब एवं सातेनपट्टी पंचायत के ढाढा मध्य विद्यालय के पश्चिम स्थित तालाब की हालत भी दयनीय हो चुकी है। रखरखाव के अभाव में इसका अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।

मुहिम की हो रही सराहना तालाबों के संरक्षण को लेकर दैनिक जागरण की मुहिम की क्षेत्र के लोग प्रशंसा कर रहे हैं। निजी तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। क्षेत्र के शिक्षाविद एवं जनप्रतिनिधियों आदि का कहना है कि तालाबों की साफ -सफाई व जीर्णोद्धार में युवा के साथ साथ क्षेत्र के लोगों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, जिससे वर्तमान समय में सभी परंपरागत जलस्त्रोत को बचाया जा सके। तालाब सभी लोगों के लिए सामाजिक सरोकार, जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा की धरोहर के रूप में हैं। रखरखाव के अभाव में तालाब दिनों दिन सूखता व कचरों से भरता जा रहा है। पानी का स्तर नीचे जा रहा है जिस वजह से तालाबों का पानी तेजी से सूखने लगा है। सूखे तालाबों में कचरा फेंकने से वह भरता जा रहा है। जल संरक्षण के प्राचीन व ऐतिहासिक साधन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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