सहेज लो हर बूंद:::::::गांव-गांव में अस्तित्व का संकट झेल रहे तालाब

संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) हमेशा से भारतीय संस्कृति में तालाबों का सामाजिक सांस्कृि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:21 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 06:21 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद:::::::गांव-गांव में अस्तित्व का संकट झेल रहे तालाब
सहेज लो हर बूंद:::::::गांव-गांव में अस्तित्व का संकट झेल रहे तालाब

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): हमेशा से भारतीय संस्कृति में तालाबों का सामाजिक, सांस्कृतिक व पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तालाब जल संरक्षण का प्रमुख आधार भी है। पहले हमारे यहां खेती की सिचाई के लिये लोग अधिकतर तालाब, पोखर आदि परंपरागत साधनों का ही इस्तेमाल किया करते थे। इतिहास इसकी गवाही देता है, लेकिन आज हम उससे विमुख होते जा रहे हैं। नतीजतन लगातार नीचे गिर रहे भूगर्भ जलश्रोत से चितित होकर सरकार जल संरक्षण के लिए मनरेगा सहित कई महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से पोखर व तालाब की खुदाई करवा रही है। लेकिन राघोपुर व बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र में उक्त योजनाओं के बावजूद सरकारी व निजी तालाब अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए गुहार लगा रहे हैं। आज बढ़ती जनसंख्या एवं इसके जरूरतों के हिसाब से लोगों ने जल संरक्षण के प्रमुख आधार तालाब को भी अतिक्रमित करना शुरू कर दिया है। इससे तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ बाजारों के नजदीक स्थित तालाब भी उपेक्षा के कारण अस्तित्व का संकट झेल रहा है। तालाब की खुदाई एवं साफ-सफाई की बात कौन कहे अधिकांश तालाब कचरे व जलकुम्भी के जंगल में गुम होकर रह गया है। आज क्षेत्र के अधिकांश पोखर जलकुंभियों से भरा पड़ा है। शायद ही इसकी सफाई की जाती है। इससे आदमी के साथ-साथ पशुओं को भी परेशानी हो रही है। प्रशासनिक उदासीनता व लोगों की उपेक्षा की वजह से तालाब व पोखर दिनों-दिन सिमटता जा रहा है। समय रहते इन तालाबों का जीर्णोद्धार व सफाई नहीं की गई तो इनको बचाकर रखना मुश्किल हो जाएगा। क्षेत्र में कहने को तो कई तालाब हैं। लेकिन स्थिति हर जगह एक ही जैसी दिखती हैं। एनएच 106 के बगल में मोतीपुर पंचायत स्थित सतपोखरिया का जब मुआयना किया तो उनकी हालत देखकर खुद-ब-खुद अंदाजा लग गया कि आज के समय में तालाबों के रखरखाव के प्रति लोग बिल्कुल ही उदासीन हो गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक इस क्षेत्र में स्थित तालाब पानी से लबालब भरा रहता था। छठ पर्व के मौके पर पूरा तालाब दीये की रोशनी से जगमगाता था। लेकिन रखरखाव के अभाव में अब यहां के तालाब सूख रहे हैं या जलकुंभी के जंगल में तब्दील हो गए हैं। किसी तरह भगवान भरोसे तालाब का अस्तित्व बचा हुआ है। यही हाल रहा तो आने वाले कुछ वर्षो में पोखर व तालाब का नाम तो रह जाएगा, लेकिन इनका अस्तित्व मिट जाएगा।

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