सेहत से है प्यार तो फास्ट फूड से करें इन्कार

बच्चों को घर की रोटी-दाल में अब स्वाद नहीं लगता। सुबह हो या शाम वो बाजार में बने चाउमीन एग रॉल चाट समोसे और बर्गर खाना ही वे पसंद करते हैं। अगर उनकी यह डिमांड पूरी नहीं हुई तो पापा की खैर नहीं। बच्चों को घर की रोटी-दाल में अब स्वाद नहीं लगता। सुबह हो या शाम वो बाजार में बने चाउमीन एग रॉल चाट समोसे और बर्गर खाना ही वे पसंद करते हैं। अगर उनकी यह डिमांड पूरी नहीं हुई तो पापा की खैर नहीं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 09:38 PM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 09:38 PM (IST)
सेहत से है प्यार तो फास्ट फूड से करें इन्कार
सेहत से है प्यार तो फास्ट फूड से करें इन्कार

सुपौल। बच्चों को घर की रोटी-दाल में अब स्वाद नहीं लगता। सुबह हो या शाम वो बाजार में बने चाउमीन, एग रॉल, चाट, समोसे और बर्गर खाना ही वे पसंद करते हैं। अगर उनकी यह डिमांड पूरी नहीं हुई तो पापा की खैर नहीं।

चिड़चिड़ापन और खीझ बच्चों में आम बात हो गई है। दरअसल नए जमाने में बाजार भी बच्चों के लिए ही सजता है। हल्दीराम से लेकर मैगी तक। बाजार ने बच्चों के लिए इतने फास्ट फूड ईजाद कर लिए हैं कि पांच साल की उम्र के बाद ही बच्चा खाने के लिए बाजार तक खींचा चला जाता है।

--------------------

सजा है फास्ट फूड का बाजार

पहले बच्चे कभी-कभार मेले लगने पर ही साल में एक-दो बार बाजार का खाना खाते थे। अब तो बाजार में हर एक दिन उपलब्ध है चाउमीन, बर्गर, चाट, समोसा और न जाने क्या-क्या। इससे भी बात नहीं बनी तो चिप्स, कुरकुरे, वैफर्स से भी पेट भरते हैं बच्चे। इन फास्ट फूड में वसा और ऊर्जा की मात्रा ज्यादा होती है। नतीजा बच्चे ये खाकर तुरंत एनर्जी पाते हैं और खुश होते हैं। लेकिन आगे जाकर वसा की यही मात्रा इनमें मोटापे के रोग को भी न्यौता देता है।

-------------------

शिथिल और ऊर्जाहीन बनाता है फास्टफूड

फास्ट फूड बच्चों को शिथिल और उर्जाहीन बना देता है। इसकी वजह से बच्चे मानसिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाते। वसा और कार्बोहाइड्रेट तो फास्ट फूड में ज्यादा मिल जाता है लेकिन पोषण के लिए सबसे जरूरी प्रोटीन नहीं के बराबर पाए जाते हैं इनमें। यही कारण है कि बच्चों में भूख की कमी अब घर-घर की कहानी हो गई है। पढ़ने के साथ खेलने व कसरत करने में भी बच्चे समय दें तो फास्ट फूड से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। मगर ऐसा होता नहीं। पढ़ाई के बोझ के बीच खेलने और कसरत करने का समय कम ही मिल पाता है। नतीजा बच्चों के शरीर की मेटाबॉलिज्म या उपापच्य क्रिया गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है।

--------------------

क्या कहते हैं चिकित्सक

डॉ. संजय मिश्रा कहते हैं कि जो अभिभावक अपने बच्चों के इलाज के लिए आते हैं, उसमें 70 फीसद लोगों की यही शिकायत रहती है कि उनका बच्चा घर का खाना नहीं खाता। बच्चों में मोटापे की शिकायत आम हो गई है। बच्चों को महीने में एक दो बार बतौर उपहार ही फास्ट फूड खिलाना चाहिए।

chat bot
आपका साथी