सुपौल: मतदाताओं को लुभाने और रुठे को मनाने में कसर नहीं छोड़ रहे प्रत्याशी

जिले के सभी 11 प्रखंडों में 10 चरणों में मतदान का कार्य संपन्न कराया जाना है। प्रथम चरण के तहत प्रतापगंज प्रखंड में होने वाले निर्वाचन कार्य को ले नामांकन दाखिल करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। जबकि दूसरे चरण में जिले के छातापुर प्रखंड में होने वाले चुनाव को ले गुरुवार से नामांकन आरंभ हो जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 06:45 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 06:45 PM (IST)
सुपौल: मतदाताओं को लुभाने और रुठे को मनाने में कसर नहीं छोड़ रहे प्रत्याशी
सुपौल: मतदाताओं को लुभाने और रुठे को मनाने में कसर नहीं छोड़ रहे प्रत्याशी

सुपौल। जिले के सभी 11 प्रखंडों में 10 चरणों में मतदान का कार्य संपन्न कराया जाना है। प्रथम चरण के तहत प्रतापगंज प्रखंड में होने वाले निर्वाचन कार्य को ले नामांकन दाखिल करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। जबकि दूसरे चरण में जिले के छातापुर प्रखंड में होने वाले चुनाव को ले गुरुवार से नामांकन आरंभ हो जाएगा। इधर शांतिपूर्ण मतदान को ले प्रशासनिक तैयारी काफी जोर-शोर से चल रही है। वहीं चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी व संभावित प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने एवं रुठे को मनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कुछ दिनों की ही तो बात है यदि मेहनत कर लिए तो फिर 5 वर्ष के लिए बेफिक्र ही हो जाएंगे। इसके लिए सभी पदों के उम्मीदवार मतदाताओं को अपने-अपने पक्ष में गोलबंद करने को लेकर रणनीति बना चुके हैं। कोई जातीय समीकरण के बल पर वोटरों का बैंक खुद के पास होने का दावा कर रहे हैं तो कोई धन-बल के जरिए वक्त आने पर सब कुछ ठीक कर लेने का दावा कर रहे हैं। मतलब साफ है कि इस चुनाव में भी उम्मीदवार अपने पुराने ढर्रे पर चल कर जीत का सेहरा पहनना चाहते हैं। ऐसे में उम्मीदवारों की जेबें ढीली होनी शुरू हो गई है। हालांकि वोट किसको मिलेगा वह अभी ठीक नहीं है, परंतु लोकतंत्र के इस महापर्व में हर कोई आनंदित है। वोट मांगने को ले दरवाजे पर आने वाले हर प्रत्याशी को अपना वोट उन्हीं को देने का वादा कर रहे हैं। आखिर प्रत्याशी करें भी तो क्या, भरोसा तो आखिर उन्हें करना ही पड़ेगा। अब निवर्तमान जनप्रतिनिधियों से जनता यह हिसाब भी नहीं मांग रही है कि आपने 5 साल में कब कहां और क्या विकास किया। बस मुखिया जी प्रणाम कह कर खातिरदारी शुरू। नतीजा है कि दूसरे प्रत्याशियों की भी मजबूरी बन जा रही है। प्रत्याशियों की सोच है कि जो उनका पा लिया वह आगे उनका ही होगा। इधर पंचायत चुनाव में सरकार ने महिलाओं को भी पचास फीसद का आरक्षण दे रखा है जिसके कारण महिला प्रत्याशी भी अच्छी-खासी संख्या में होती है। सो महिला प्रत्याशी भी लोगों के बीच पहुंचकर गिले-शिकवे को भुलाने की बात कर रही हैं। कल तक रसोई को संभालने वाली महिला अब लोगों के बीच हाथ जोड़े खड़ी दिख रही है। खैर क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। परंतु मतदाताओं को लुभाने और रूठे को मनाने में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाह रहे प्रत्याशी।

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