वोट के लिए आपसी गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे प्रत्याशी

जागरण संवाददाता सुपौल पंचायत चुनाव को ले गांव की फिजा बदली-बदली सी दिख रही है। चुनाव ने

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:26 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:26 PM (IST)
वोट के लिए आपसी गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे प्रत्याशी
वोट के लिए आपसी गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे प्रत्याशी

जागरण संवाददाता, सुपौल : पंचायत चुनाव को ले गांव की फिजा बदली-बदली सी दिख रही है। चुनाव ने जहां सामाजिक ताना-बाना को कमजोर कर दिया है वहीं लोगों के बीच आपसी मेलभाव में भी कमी हुई है। या यूं कहें कि गांव में गुटबाजी बढ़ गई है। इधर जिले में चुनाव के साथ-साथ मतगणना भी जारी है। अब तक 4 प्रखंडों में चुनाव संपन्न हो चुके हैं और उनके परिणाम भी घोषित हो चुके हैं। शेष प्रखंडों में भी क्रमवार चुनाव की तिथि तय है और कहीं एनआर कटाने कहीं नामांकन तो कहीं प्रचार-प्रसार का सिलसिला जारी है। इधर गांव की इस सियासत से समाज में जहर भी खूब घुल रहा है। एक साथ छह पद के लिए चुनाव होने से प्रत्याशियों की संख्या काफी अधिक हो रही है। जिला परिषद को छोड़कर शेष पदों का पंचायत से लेकर गांव और टोले से सीधा नाता है। इस कारण गांव में गुटबाजी चरम पर पहुंच रही है। कहीं-कहीं एक टोल से दो-दो प्रत्याशियों के रहने से आमलोगों के लिए कुएं और खाई वाली बात बन जा रही है। ना चाहते हुए भी लोगों को किसी न किसी खेमे का हिस्सा बनना पड़ जा रहा है। परिणाम है कि कल तक एक साथ रहने वाले लोगों के बीच गुटबाजी बढ़ती ही जा रही है। चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी भी यही चाहते हैं ताकि गुटबाजी को और अधिक हवा दी जा सके और एक पक्ष का वोट बटोर कर आ जाए। कुछ ऐसी ही स्थिति उन पंचायतों की भी है जहां चुनाव बाद परिणाम घोषित हो चुके हैं। जहां विजयी प्रत्याशी के खेमे द्वारा जीत का जश्न मनाए जाता है वहीं हारे प्रत्याशियों के खेमे के लोगों को यह काफी खटक रहा है। इससे लोगों के बीच का आपसी प्रेम भी कमजोर हो जा रहा है। हालांकि अब तक के घोषित परिणाम वाली पंचायतों में ऐसी कोई घटना नहीं घटी है जिससे दो खेमों के लोग आमने-सामने आ गए हो परंतु चुनाव से पूर्व जिले में जो सामाजिक एकता की डोर मजबूत थी उसमें निश्चित ही कमी आई है।

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