किसानों के डूबे अरमान, जलमग्न हुआ धान
सुपौल। पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश ने लोगों का पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिससे सबसे अधिक असर खरीफ फसल करने वाले किसानों पर पड़ा है।
सुपौल। पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश ने लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिससे सबसे अधिक असर खरीफ फसल करने वाले किसानों पर पड़ा है। छातापुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बलुआ, लक्ष्मीनियां, मधुबनी, ठूठी, मटियारी इत्यादि जगहों पर लगातार हुई भारी बारिश से धान की फसल पर व्यापक असर पड़ा है। लगभग सैकड़ों एकड़ खेत में लगी धान की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। जिससे किसानों के चेहरे पर चिता की लकीरें नजर आने लगी है। क्षेत्र के किसान पंचानंद झा, गणेश यादव, जुगल किशोर मेहता, सलाम खान, कृत्यानंद झा, मुंगलाल राय और रामबल्लभ झा आदि का कहना है कि महंगा एवं उन्नत किस्म का बीज खरीद कर धान की रोपनी की थी, लेकिन लगातार बारिश के कारण फसल पूरी तरीके से डूब गई है। यदि पानी तीन-चार दिन के अंदर खेतों से नहीं निकलता है तो धान की फसल पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएगी। लोगों ने बताया कि मक्का की फसल बर्बाद होने के बाद बड़ी मुश्किल से किसानों ने धान की खेती करने की हिम्मत जुटाई थी। इस बार बारिश के साथ बाढ़ ने अरमानों पर पानी फेर दिया है। वहीं लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से क्षेत्र की अधिकांश नदियां उफान पर है। जिस कारण निचले क्षेत्र में बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है। भारी बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के निचले इलाकों की सड़कें पूरी तरह से जलमग्न है। जहां लोगों को आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दैनिक मजदूर एवं पशुपालकों के लिए यह बारिश किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। लोगों को अपने दैनिक कार्य करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने पूर्व में ही 23 से लेकर 27 सितंबर तक पूरे बिहार में भारी बारिश की चेतावनी जारी कर रखी है। लगातार हुई बारिश के कारण तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज किया गया है।