सुपौल के 97 नलकूपों में दो ही उगल रहे पानी

बेशक सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को ले तत्पर है। इसके लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रखी है बावजूद कई ऐसी कुव्यवस्था है जो किसानों की आय दोगुनी करने की राह को कठिन बना रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:20 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:20 PM (IST)
सुपौल के 97 नलकूपों में दो ही उगल रहे पानी
सुपौल के 97 नलकूपों में दो ही उगल रहे पानी

सुपौल। बेशक सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को ले तत्पर है। इसके लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रखी है, बावजूद कई ऐसी कुव्यवस्था है जो किसानों की आय दोगुनी करने की राह को कठिन बना रहा है। वैसे यदि किसानों को समय से उत्तम खाद-बीज के साथ-साथ सिचाई की मुकम्मल व्यवस्था हो जाए तो फिर किसान अपनी किस्मत खुद संवार सकते हैं। लेकिन किसानी में यहां सबसे बड़ी समस्या सिचाई को लेकर है। जिले में सिचाई व्यवस्था इस तरह बदहाल है कि किसानों द्वारा उच्च लागत और मेहनत के बाद भी उनकी आय नहीं बढ़ पा रही है। जिले में सिचाई की सरकारी व्यवस्था की बात करें तो यहां कुल 97 नलकूप हैं, जिसमें से महज दो नलकूप ही चालू अवस्था में है। बाकी नलकूप बंद पड़े हैं। बंद पड़े नलकूपों की बात करें तो कोई तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ा है तो कोई बिजली व्यवस्था के अभाव में। कई नलकूप इसलिए भी बंद पड़े हैं कि बिजली विभाग ने बिल जमा नहीं करने के कारण कनेक्शन काट दिया है। ऐसे में किसानों को पूरी तरह बोरिग पर ही आश्रित होना पड़ रहा है। हालांकि जिले में सिचाई के लिए नहरों का जाल बिछा है, परंतु नहर का पानी खेतों तक पहुंचने की दिशा में आज तक ईमानदार प्रयास नहीं किया जा सका है। परिणाम है कि जिले के किसान पंपसेट के सहारे किसानी को मजबूर हैं।

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पंपसेट के सहारे होती सिचाई

सबसे बड़ी बात है कि नलकूप और नहरों के बाद भी जिले के किसान पंपसेट के सहारे खेती करने को मजबूर हैं। हाल के दिनों में डीजल की बढ़ी कीमत का सीधा असर किसानों की आय पर पड़ता दिख रहा है। इधर सरकार द्वारा किसानों को सिचाई के लिए बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है। सस्ते दर पर कृषि कार्य के लिए बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन यह व्यवस्था होने में अभी लंबा वक्त लगेगा।

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राशि नहीं मिलने के चलते खराब पड़ा नलकूप

सरकार ने 2018 में सभी नलकूपों को पंचायत के हवाले करने का फैसला लिया। इसके तहत जिले के सभी 97 नलकूपों को पंचायत के हवाले कर दिया गया। जिस समय विभाग द्वारा इन सभी नलकूपों को पंचायत के हवाले किया जा रहा था उस समय 90 नलकूप खराब पड़ा था। सिर्फ 07 नलकूप ही चालू अवस्था में था। विभाग द्वारा कहा गया कि राशि आने पर इन सभी नलकूपों की मरम्मत कर दी जाएगी। लेकिन विडंबना देखिए आज तक पंचायत को राशि नहीं दी गई और न ही इन नलकूपों की मरम्मत हो पाई। जो 7 नलकूप चालू अवस्था में थे उनमें से तीन नलकूपों पर हजारों का बिजली बिल बकाया रहने के कारण उसका कनेक्शन काट दिया गया। फिलहाल जिले में दो नलकूप चालू अवस्था में हैं। वह भी देखभाल के अभाव में बंद होने के कगार पर ही हैं। परिणाम है कि किसान महंगी सिचाई करने को मजबूर हैं।

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