विकास और पुनर्जीवन के प्रति उदासीनता से संकट में तालाब

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून इस पंक्ति का अर्थ जिसने भी समझ लिया वह न केवल पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पहल करेगा बल्कि जल संरक्षण के प्रति भी गंभीर होगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:10 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:10 PM (IST)
विकास और पुनर्जीवन के प्रति उदासीनता से संकट में तालाब
विकास और पुनर्जीवन के प्रति उदासीनता से संकट में तालाब

सुपौल। 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून' इस पंक्ति का अर्थ जिसने भी समझ लिया वह न केवल पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पहल करेगा बल्कि जल संरक्षण के प्रति भी गंभीर होगा। इसे विडंबना ही कहिए कि मौजूदा समय में भू-गर्भ दोहन व जल संरक्षण के प्रति आम व खासजनों की उदासीनता से दिन प्रतिदिन जल का संकट बढ़ता जा रहा है। भीषण गर्मी के मौसम में तालाबों व पोखरों की महत्ता समझ में तो आती है। लेकिन इसके बावजूद इंसान व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते इस कदर अंधा हो चला है कि वह तालाबों व पोखरों का अस्तित्व ही समाप्त करने पर अमादा हो गया है। एक समय ऐसा था जब जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए श्रमदान से गांवों में पोखरों व तालाबों की खोदाई की जाती थी। आज सब कुछ इसके विपरीत हो रहा है। तालाबों का असली चेहरा जो सामने आ रहा है, वह काफी भयावह है। अनदेखी के चलते तालाबों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। करजाईन तथा आसपास के क्षेत्रों में स्थित तालाबों के विकास और पुनर्जीवन के प्रति तो प्रशासन और व्यवस्था में बैठे प्रतिनिधि उदासीन हैं ही। वहीं स्थानीय स्तर पर भी तालाबों की हालत की ओर किसी का ध्यान नहीं है। राघोपुर व बसंतपुर प्रखंड के गांवों में स्थित तालाब की दुर्दशा कुछ ऐसी ही स्थिति बयां करती है। बसंतपुर प्रखंड के सातेनपट्टी पंचायत के वार्ड नंबर 09, रतनपुर पंचायत के मधेपुरा नहर से पूरब तथा राघोपुर प्रखंड के बायसी पंचायत के काली स्थान रोड में स्थित पुराने तालाब की स्थिति नारकीय हो गई है। तालाब के चारों ओर कूड़ा-कचरा व झाड़ियों का साम्राज्य फैल गया है। कभी पूरे गांव की जरूरतों को पूरा करने वाले तालाब की वर्तमान स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। वर्तमान में तालाब का पानी किसी योग्य नहीं रह गया है। अब तो लोग तालाब की ओर देखना भी पसंद नहीं करते हैं। तालाब की बदतर हालत के लिए स्थानीय लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। तालाब की समय से साफ-सफाई और उसके पानी को प्रदूषण से बचाने को लेकर लोग तत्पर नजर नहीं आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक समय था जब इन तालाबों के पानी से नहाने-कपड़े धोने के साथ-साथ लोग सिचाई के लिए भी पानी का उपयोग करते थे। अब तो तालाब में कचरा और घास भरने से यह बेकार होता जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र के कई अन्य तालाब भी हैं जिनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। तालाब के अंदर गंदगी व बड़े-बड़े घास इसकी बदहाली को बयां कर रहे हैं। कभी पानी से लबालब रहने वाला तालाब समाज व सरकार की उदासीनता से सूखने पर विवश है।

chat bot
आपका साथी