नमो देव्यै महादेव्यै::::: कोरोना मरीजों की सेवा के लिए मिसाल बनी मयंका
जागरण संवाददाता सुपौल कहते हैं कि डर के आगे जीत है। कोरोना काल में अपने अंदर के सा
जागरण संवाददाता, सुपौल: कहते हैं कि डर के आगे जीत है। कोरोना काल में अपने अंदर के साहस को जगाते हुए जिस आत्मविश्वास व कर्तव्यनिष्ठा के साथ सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थापित एएनएम मयंका कुमारी ने कोरोना मरीजों की सेवा की वह एक मिसाल है। कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए पिछले साल जारी जंग में मयंका की ड्यूटी सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में लगी थी और वहां उसने लगातार पांच महीने तक कोरोना के मरीजों की सेवा की। दिनभर संक्रमण के खतरों के बीच सेवाएं देने वाली मयंका से जब यह पूछा गया कि आइसोलेशन वार्ड में डर नहीं लग रहा था तो हंसते हुए कहना था कि डर को मैंने भगा दिया था और कोरोना मरीजों के बीच रहते-रहते इस घातक संक्रमण से खतरा मोल लेने की एक तरह से आदत सी हो गई थी। शुरु-शुरु में आठ-आठ घंटे तक पीपीई कीट पहने रहना अटपटा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसकी भी आदत हो गई थी। उस समय रात हो या दिन कभी भी आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लग जाती थी। खतरों के बीच मरीजों की सेवा करना हमलोगों के लिए चुनौती थी जिसका हंसते-हंसते सामना किया। जब मरीज ठीक होकर आइसोलेशन वार्ड से अपने घर जाते थे तो उस वक्त उसे अलग ही खुशी मिलती थी। हां, डर उसे तब लगता था जब वे ड्यूटी से अपने आवास जाती थी। हालांकि घर जाने के पूर्व कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर जो भी उपाय थे उसे वह अपनाती थी। बावजूद बच्चों के पास जाने में डर लगता था। यह प्रयास करती थी कि बच्चे उसके पास कम आएं। मूल रूप से लखीसराय की रहने वाली मयंका का मानना है कि शायद ईश्वर ने हमें मानवता की सेवा के लिए ही धरती पर भेजा है, इसलिए नर्सिंग पेशे में आई हूं। फिलहाल उसकी ड्यूटी सदर अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर में लगी है। उनका कहना है कि अगर फिर से कोरोना के मरीजों की सेवा के लिए ड्यूटी लगी तो पूरी ईमानदारी से काम करूंगी। उसे दृढ़ विश्वास है कि कोरोना की जंग फिर से जीतेंगे।