चुनाव पेज: मजदूरों का पलायन घटा सकता है मतदान का प्रतिशत

सुपौल। एक तरफ विधानसभा चुनाव को लेकर अधिसूचना एक तरफ विधानसभा चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है। गांव-गांव में जहां मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली हरियाणा़ पंजाब आदि जगहों से आई बसों से रोजी-रोटी के लिए मजदूर जा चुनाव के पूर्व ही यहां से पलायन कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 09:37 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 09:37 PM (IST)
चुनाव पेज: मजदूरों का पलायन घटा सकता है मतदान का प्रतिशत
चुनाव पेज: मजदूरों का पलायन घटा सकता है मतदान का प्रतिशत

सुपौल। एक तरफ विधानसभा चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है। गांव-गांव में जहां मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली, हरियाणा़, पंजाब आदि जगहों से आई बसों से रोजी-रोटी के लिए मजदूर जा चुनाव के पूर्व ही यहां से पलायन कर रहे हैं। बसों पर कार्रवाई नहीं हो इसके लिए टूरिस्ट बसों का उपयोग किया जा रहा है। मजदूरों को तैयार करने के लिए जगह-जगह एजेंट लगाए गए हैं जो टोले-मोहल्ले में मजदूरों को तैयार करते हैं। चुनाव पूर्व ऐसे में मजदूरों का पलायन मतदान का प्रतिशत घटा सकता है।

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पंजाब में धन कटनी है शुरू

पजाब में धान की कटनी शुरू हो गई है। वहां मजदूरों की कमी पूरा करने के लिए सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में ऐसे टूरिस्ट बसों का आना-जाना शुरू हो गया है, जिससे मजदूरों को भर-भरकर ले जाया जा रहा है। मजदूरों ने बताया कि पंजाब सहित कुछ अन्य जगहों पर इन दिनों धान की कटनी शुरू है। वे लोग वहीं जा रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि बस से जाने और आने का खर्च ले जानेवाले उठा रहे हैं। इससे उन लोगों को काफी लाभ दिखता है। जब तक बाहर में काम मिलता रहेगा तब तक वहीं रहेंगे और काम खत्म होने के बाद वापस अपने-अपने घरों को आ जाएंगे।

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प्रति मजदूर दो सौ रुपये कमीशन पर एजेंट कर रहे काम

एक मजदूर को बाहर जाने के लिए तैयार करने वाले एजेंट को दो सौ रुपये दिए जाते हैं। इस कारण वे काफी सक्रिय हैं। ऐसे एजेंटों का बस मालिक से सीधा संपर्क बना हुआ है।

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टूरिस्ट बसों से हो रहा पलायन

जिन बसों से मजदूरों को बाहर ले ले जाया जाता है उसे बिहार के गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है। टूरिस्ट बस का बोर्ड लगाकर बस मालिक गांव-गांव जाकर मजदूरों को ढो रहे हैं। टूरिस्ट बस के कुछ चालकों ने बताया कि उन सबों को उनके मालिक द्वारा नाम पता देकर भेजा जाता है और वह सब वहां पहुंचकर मजदूर को ले जाते हैं। दूसरी ओर ऐसी बसों से आए दिन मजदूरों को पलायन करते देख कोई बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो रही है। इस कारण बस मालिक बेहिचक मजदूरों को बाहर ले जा रहे हैं।

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कोट..

ऐसी बसों पर नजर रखी जा रही है। बिना परमिट आई तीन बसों को जब्त किया गया है। जिन बसों का परिमट होता है उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

सुशील कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी

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