हौसले को सलाम::::: हौसले को डिगा नहीं पाया कोरोना, जंग-ए-मैदान में डटी है अलका
जागरण संवाददाता सुपौल कोरोना को हराने के लिए पिछले साल जिस जंग की शुरुआत हुई थी वह
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना को हराने के लिए पिछले साल जिस जंग की शुरुआत हुई थी वह अब तक निरंतर जारी है। ऐसे में तमाम दिक्कतों और दुश्वारियों के बावजूद कोरोना योद्धा इस वायरस को हराने के लिए जी जान से जंग लड़ रहे हैं। सदर अस्पताल में पदस्थापित नर्स अलका सिन्हा भी एक ऐसी योद्धा हैं जो कोरोना की जंग में जोश व जुनून के साथ भागीदार बनी हुई है। सेवा के दौरान ये भी संक्रमित होने से नहीं बच पाई। इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी और स्वस्थ होकर फिर से एक कुशल योद्धा की तरह कोरोना को हराने के लिए जंग ए मैदान में उतर पड़ी। अलका की ड्यूटी सदर अस्पताल के कोराना वार्ड में लगी है। कोरोना की पहली लहर में भी ये कोरोना वार्ड में ही ड्यूटी करती थी। जब ये ड्यूटी पर जाती हैं तो इन्हें न तो खाने की चिता रहती है, न ही घर जाने का कोई समय है। पर सब परेशानी भुलाकर ये कोरोना मरीजों की सेवा में तन्मयता व समर्पण भाव से लगी रहती है। अलका का कहना है कि कोरोना काफी खतरनाक वायरस है। ऐसे समय में डॉक्टर व नर्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है लेकिन इस वायरस से जंग न हारे हैं और न हारेंगे। अगर हौसला बुलंद हो तो फिर बड़े से बड़ा संकट भी इंसान के आगे घुटने टेक देता है। कहा कि वार्ड में हमेशा मरीजों को पॉजिटिव सोच रखने की सलाह देती हूं। वैसे भी किसी भी मुश्किल समय में सोच पॉजिटिव रखनी चाहिए। कहा कि अप्रैल माह में खुद संक्रमित हो गई थी। स्वस्थ होने के बाद फिर कोरोना मरीजों की सेवा में जुट गई हूं। इस संकट की घड़ी में हर किसी को मानव सेवा का धर्म निभाना चाहिए। अलका की सेवा निवृत्ति में लगभग ढाई साल का समय रह गया है बावजूद उनका जज्बा कम नहीं है। कोरोना की जंग में अलका जैसे योद्धाओं के बुलंद हौसले ही देश को जीत दिलाएगी।