सुपौल : चित को चुरा लेता है श्रीकृष्ण का सौंदर्य

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सिमराही शाखा के तत्वावधान में स्थानीय ओम शांति केंद्र पर कृष्णाष्टमी के उपलक्ष्य में प्रवचन एवं श्रीकृष्ण के चैतन्य झांकी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 31 Aug 2021 06:07 PM (IST) Updated:Tue, 31 Aug 2021 06:07 PM (IST)
सुपौल : चित को चुरा लेता है श्रीकृष्ण का सौंदर्य
सुपौल : चित को चुरा लेता है श्रीकृष्ण का सौंदर्य

सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सिमराही शाखा के तत्वावधान में स्थानीय ओम शांति केंद्र पर कृष्णाष्टमी के उपलक्ष्य में प्रवचन एवं श्रीकृष्ण के चैतन्य झांकी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सेवा केंद्र प्रभारी बबीता दीदी, बीडीओ विनीत कुमार सिंहा, उप प्रमुख सतीश कुमार यादव, रघुवीर भगत, इंस्पेक्टर भूपेंद्र प्रसाद सिंह, राम नगीना भगत, कृष्ण कुमार राय, डा. वीरेंद्र, डा. शशिभूषण चौधरी, डा. रविद्र विश्वास, ते•ा नारायण, ब्रह्माकुमार किशोर भाई ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर कृष्णाष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए राजयोगिनी बबीता दीदी ने कहा कि श्रीकृष्ण का नाम लेते ही उन्हें अपने सामने हाथों में अथवा होठों पर मुरली धारण किए हुए मोर, मुकुटधारी सांवरे रंग की एक दिव्य मूर्ति की झलक दिखाई देती है। हर एक माता अपने बच्चों को नयनों का तारा और दिल का दुलारा समझती है परंतु वह श्रीकृष्ण को सुंदर, मनमोहन, चितचोर, माखन चोर आदि नामों से पुकारती हैं। वास्तव में श्रीकृष्ण का सौंदर्य चित को चुरा ही लेता है। कृष्णाष्टमी के दिन जिस बच्चे को मोर, मुकुट पहनाकर मुरली हाथ में देते हैं लोगों का मन उस समय उस बच्चे के नाम, रूप, देश व काल को भूल कर कुछ क्षणों के लिए श्रीकृष्ण की ओर आकर्षित हो जाता है। सुंदरता तो बहुत लोगों के पाई जाती है परंतु श्रीकृष्ण सर्वाग सुंदर थे। ऐसे अनुपम सौंदर्य तथा गुणों के कारण ही श्रीकृष्ण की पत्थर की मूर्ति भी चितचोर बन जाती है। कृष्ण शब्द का अर्थ ही श्यामला अथवा सांवरिया है। मुख्य अतिथि बीडीओ ने अपने संबोधन में कहा कि अपने अंदर के मनोबल और आत्मबल बढ़ाने के लिए श्रीकृष्ण को मन ही मन श्रद्धा से याद करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण की याद तब रह सकेगी जब हमारे कर्म ठीक हों।

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