जैविक खाद पर किसान नहीं जता रहे भरोसा

सुपौल। रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। यह बात सरकार और विभाग भी स्वीकार करती है। पर जैविक खाद की अनुपलब्धता के कारण किसानों को रासायनिक खाद का ही आसरा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 10:06 PM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 05:09 AM (IST)
जैविक खाद पर किसान नहीं जता रहे भरोसा
जैविक खाद पर किसान नहीं जता रहे भरोसा

सुपौल। रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। यह बात सरकार और विभाग भी स्वीकार करती है। पर जैविक खाद की अनुपलब्धता के कारण किसानों को रासायनिक खाद का ही आसरा है। जैविक खाद पर किसानों को भरोसा नहीं हो रहा है।

किसान भी मरता क्या न करता की तर्ज पर रासायनिक खाद से ही खेती करने पर विवश हैं।

हालांकि किसानों का भी मानना है कि रासायनिक खाद के प्रयोग से धीरे-धीरे जमीन उसर होती जाती है। उसकी उत्पादक क्षमता घट जाती है। सरकार भी इस दिशा में लोगों को जागरूक कर रही है। सरकार रासायनिक खाद के बदले किसानों से अधिक से अधिक जैविक खाद के प्रयोग की अपील कर रही है।

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अनुदान व जागरूकता भी नहीं आ सकी काम

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार और विभाग ने पहल की। विभागीय स्तर से पशुपालकों व किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वर्मी पिट के निर्माण के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान भी दिए गए। विभाग द्वारा कृमि भी उपलब्ध कराए गए। शुरुआती दौर में किसानों व पशुपालकों ने वर्मी कंपोस्ट बनाने में रूचि दिखाई। कितु खपत नहीं होने व बाजार की व्यवस्था नहीं रहने के कारण धीरे-धीरे उनका मोह भंग होता चला गया। कुछ खाद विक्रेताओं ने जैविक खाद के रूप में वर्मी कंपोस्ट भी मंगवाया पर डिमांड नहीं रहने के कारण खाद विक्रेता भी वर्मी कंपोस्ट से मुंह मोड़ चले।

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शिथिल पड़ी व्यवस्था, किसानों ने मुंह मोड़ा

जिले में काम कर रही कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए किसानों व पशुपालकों को जागरूक करने में भूमिका निभाई। स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जैविक खेती से होने वाले फायदे भी गिनाए गए। इतना तक कहा गया कि प्रयोग के तौर पर ही सही थोड़ी जैविक खेती कर लें और उत्पादन में अंतर देख लें। कुछ किसानों ने प्रयोग के तौर पर जैविक खेती की और उपलब्धि से खुश भी नजर आए कितु जैविक खाद की अनुपलब्धता व शिथिल व्यवस्था के कारण थक-हार कर किसान फिर से रासायनिक खाद की ओर बढ़ चले। वर्तमान समय में बाजार की खाद दुकानों पर रासायनिक खाद ही नजर आते हैं और बेचे जाते हैं। इसी के बलबूते किसानी हो रही है।

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