सुपौल के किशनपुर में पीएचसी बदहाल, निजी अस्पतालों की कट रही चांदी

एक तरफ सूबे की सरकार राज्य में आमलोगों को बेहतर व सुलभ चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने की बात करती है परंतु पीएचसी की जमीनी हकीकत यह है कि लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा भी मयस्सर नहीं हो पा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Dec 2020 11:48 PM (IST) Updated:Tue, 08 Dec 2020 11:48 PM (IST)
सुपौल के किशनपुर में पीएचसी बदहाल, निजी अस्पतालों की कट रही चांदी
सुपौल के किशनपुर में पीएचसी बदहाल, निजी अस्पतालों की कट रही चांदी

सुपौल। एक तरफ सूबे की सरकार राज्य में आमलोगों को बेहतर व सुलभ चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने की बात करती है परंतु पीएचसी की जमीनी हकीकत यह है कि लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा भी मयस्सर नहीं हो पा रही है। किशनपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित सभी उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी बदहाल है जिस वजह से आमलोगों को समुचित चिकित्सा सेवा के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। निजी अस्पतालों की चांदी कट रही है, मरीज आर्थिक दोहन का शिकार हो रहे हैं।

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कर्मियों की कमी, अस्पताल का भवन जर्जर

प्रखंड में इकलौता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों, बेड व भवन के अभाव में बदहाल है। इस अस्पताल में प्रतिदिन पांच सौ मरीजों को ओपीडी में देखा जाता है। प्रति माह दो सौ से अधिक महिलाओं का बंध्याकरण किया जाता है। एनएच के किनारे होने एवं बाढ़ प्रभावित प्रखंड रहने के कारण प्रतिदिन पांच से दस मरीजों का उपचार इमरजेंसी में किया जाता है। अस्पताल में हर दिन इलाज के लिए मरीजों की लंबी कतार देखी जा सकती है। प्रसव के लिए अस्पताल को सुरक्षित जननी योजना के तहत उपलब्ध एक एंबुलेंस भी रखरखाव के अभाव में यदा-कदा ही काम आती है। अस्पताल में आउटसोर्सिंग की व्यवस्था भी राम भरोसे है। इमरजेंसी वार्ड में बेड की अनुपलब्धता की वजह से एक ही बेड पर तीन-तीन मरीजों को लिटाकर उनका उपचार किया जाता है। अस्पताल के भवन की छत टूटकर गिरती रहती है।

------------------------------ बोले मरीज

अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मु.समसुद्दीन ने बताया कि सात डॉक्टर वाले इस अस्पताल में एक डॉक्टर हैं, ऐसे में इलाज में कितनी परेशानी होती होगी इसे अनुभव किया जा सकता है। शांति देवी बताती हैं कि स्त्री रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने से महिलाओं को काफी परेशानी होती है। उन्हें इलाज के लिए निजी क्लीनिकों का ही सहारा लेना पड़ता है।

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पद-स्वीकृत-कार्यरत

डॉक्टर 07-01

महिला रोग विशेषज्ञ 01-00

स्टाफ नर्स 02-00

एएनएम 40-35

फार्मासिस्ट 01-00

ड्रेसर 03-00

लिपिक 02-00

महिला कक्ष सेविका 01-00

पुरुष कक्ष सेवक 04-03

स्वास्थ्य प्रशिक्षक 01-00

सेनेटरी इंस्पेक्टर 01-00

बीडब्ल्यूएच 04-00

एलएचवी 02-00

स्वास्थ्य कार्यकर्ता 01-00

एफपीडब्लू 04-01

संगणक 01-01

स्वास्थ्य सेवक 01-01

नाविक 02-00

नाइट गार्ड 01-00

वाहन चालक 01-00

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