कोरोना के कहर में भी नहीं सुधरी रतनपुर उपस्वास्थ्य केंद्र की सूरत

-सुबह-शाम गुलजार रहने वाला उप स्वास्थ्य केंद्र आज बना खंडहर -खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघ्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 05:26 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 05:26 PM (IST)
कोरोना के कहर में भी नहीं सुधरी रतनपुर उपस्वास्थ्य केंद्र की सूरत
कोरोना के कहर में भी नहीं सुधरी रतनपुर उपस्वास्थ्य केंद्र की सूरत

-सुबह-शाम गुलजार रहने वाला उप स्वास्थ्य केंद्र आज बना खंडहर

-खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा अस्पताल

-अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर चिकित्सक की हो प्रतिनियुक्ति

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फोटो फाइल नंबर-9एसयूपी-1

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): रतनपुर पंचायत स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र व्यवस्था की लापरवाही से खुद वर्षों से बीमार पड़ा है। कोरोना के कहर के बीच भी इसकी हालत नहीं सुधरी। भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए लंबी-चौड़ी बातें जरूर सुनने को मिली। कुछ वर्षों पूर्व तक इस उपस्वास्थ्य केंद्र की भी हस्ती थी। सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था। चिकित्सक से लेकर नर्स तक की व्यवस्था हर समय उपलब्ध रहती थी। लेकिन बेरहम व्यवस्था ने ऐसा डंक मारा कि अब खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे करने वाली सरकार के लिए रतनपुर पंचायत स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र इनकी हकीकत को बयां करने के लिए काफी है। बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत रतनपुर पंचायत के वार्ड नंबर 10 पुरानी बाजार में स्थापित उपस्वास्थ्य केंद्र आज विभागीय उपेक्षा से बदहाल हो गया है। सरकारी स्तर पर यहां के लोगों की जरूरत समझने का प्रयास कभी भी नहीं किया गया। बड़े-बड़े नेता व अधिकारी आते हैं, अस्पताल की हालत देख सुधार का आश्वासन जरूर जनता को देते हैं। लेकिन विडंबना कहिये कि जनता को अबतक सिवा आश्वासन के झुनझुने का कुछ नहीं मिला। जहां मरीजों का इलाज होना चाहिए वह अस्पताल खुद बीमार है। न यहां कोई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी हैं और न ही अधिकारी व जनप्रतिनिधि इसकी सुधि ले रहे हैं। एक समय यहां रतनपुर, बायसी, दीनबंधी, चौहद्दी सहित आसपास के कई गांव के लोग इलाज कराने आते थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते यह उपस्वास्थ्य केंद्र अब मरीजों को मुंह चिढ़ा रहा है। ऐसे में लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों के शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर दूर वीरपुर या सिमराही इलाज के लिए भटकना पड़ता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर उनसे ठगी की जा रही है। हेल्थ फोर ऑल की घोषणा धरातल पर कहीं नहीं दिख रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं। फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। स्थानीय ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यथा शीघ्र इस केंद्र को अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर चिकित्सक की बहाली की मांग की है, ताकि ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़े।

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