सुखाड़ में भी अब खाली नहीं रहेगी कोठी-बखारी, सबौर अ‌र्द्धजल बनेगा वरदान

-120 दिनों में तैयार होने वाली धान की नई प्रजाति बाढ़-सुखाड़ क्षेत्रों के किसानों के लिए होगी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:01 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:01 PM (IST)
सुखाड़ में भी अब खाली नहीं रहेगी कोठी-बखारी, सबौर अ‌र्द्धजल बनेगा वरदान
सुखाड़ में भी अब खाली नहीं रहेगी कोठी-बखारी, सबौर अ‌र्द्धजल बनेगा वरदान

-120 दिनों में तैयार होने वाली धान की नई प्रजाति बाढ़-सुखाड़ क्षेत्रों के किसानों के लिए होगी फायदेमंद -50 क्विटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है उत्पादन

--------------------------- जागरण संवाददाता, सुपौल: अब बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति होने पर भी किसानों के धान की उपज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी प्रजाति का इजाद किया है जो सूखा और बाढ़ की स्थिति होने पर भी इसके उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धान का यह नया प्रभेद सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है। जिनका नाम सबौर अर्धजल प्रजाति रखा गया है। धान के इस किस्म के उत्पादन पर सूखे और बाढ़ का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। 120 दिनों में तैयार होने वाली धान की यह नई प्रजाति बाढ़ और सुखाड़ दोनों क्षेत्रों के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। जिले में इस प्रजाति के धान की खेती पहली बार राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में की जाएगी। केंद्र द्वारा किसानों को यह प्रभेद उपलब्ध कराया जाएगा और उनके देखरेख में यह खेती की जाएगी।

------------------------------

कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार के मुताबिक बाढ़ और सूखा के मद्देनजर किसानों के लिए सबौर अर्धजल प्रभेद का धान वरदान साबित होगा। कम समय में तैयार होने वाले इस नए प्रभेद के धान की उत्पादन क्षमता भी सामान्य धान की अपेक्षा काफी अधिक है। ऐसा अनुमान है कि इस प्रभेद से खेती करने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 क्विटल तक का उत्पादन हो सकता है। यह धान महीन किस्म के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है। सबसे खास बात यह है कि इस धान की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। पानी में डूबे रहने के बाद भी इसके उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

-------------------------------

किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जिले में पहली बार होने वाली इस खेती को लेकर किसानों को चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा। प्रयोग के तौर पर गहरी जमीन और ऊंचे किस्म के जमीन वाले किसानों को इसके लिए चयन किया जाएगा । तत्पश्चात यह बीज बीज उपलब्ध कराकर दोनों किस्मों के खेतों में इस प्रजाति से खेती की जाएगी। ताकि इसके खूबियों को परखा जा सके।

chat bot
आपका साथी