समेकित कृषि प्रणाली को अपना संबलता की ओर बढ़े किसान

-पिपरा प्रखंड में चार किसानों ने लीज पर ली 12 एकड़ जमीन -किसानों ने की बेमौसम सब्जी मछली उ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 04:59 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 04:59 PM (IST)
समेकित कृषि प्रणाली को अपना संबलता की ओर बढ़े किसान
समेकित कृषि प्रणाली को अपना संबलता की ओर बढ़े किसान

-पिपरा प्रखंड में चार किसानों ने लीज पर ली 12 एकड़ जमीन

-किसानों ने की बेमौसम सब्जी, मछली उत्पादन व गौ पालन की शुरूआत

फोटो फाइल नंबर-31एसयूपी-6

जागरण संवाददाता, सुपौल: विकास के साथ-साथ कोसी प्रभावित सुपौल जिला कृषि के क्षेत्र में भी नित्य नई ऊंचाई को छू रहा है। इसे अन्नदाताओं की मानसिकता में बदलाव कहें या फिर विभागीय प्रयास। अक्सर अन्न उत्पादन तक सीमित रहने वाले यहां के किसान अब समेकित कृषि प्रणाली को अपना कर आर्थिक संबलता की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। यहां के किसान एक ही जगह कृषि कार्य से लेकर मछली पालन साथ-साथ करने लगे हैं। फिलहाल यह नजारा पिपरा में देखने को मिल रहा है। जहां चार किसान मिलकर समेकित खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। यहां इन किसानों द्वारा मछली पालन के साथ-साथ बेमौसम सब्जियों का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। जबकि आगे औषधीय खेती के अलावा बकरी व गौ पालन करने का है। किसानों के इस जज्बे को देखते हुए कृषि विभाग समेत कई अन्य विभाग भी मदद को आगे आ रहे हैं।

--------------------------------

12 एकड़ में हो रही खेती

प्रखंड क्षेत्र के 4 किसानों ने 12 एकड़ जमीन 21 वर्षो के लिए लीज पर लेकर खेती शुरू की है, जिसमें 5 एकड़ जमीन को जल क्षेत्र का रूप देकर मछली पालन शुरू कर दिया है। शेष जमीन में से 2000 वर्ग फीट में 25 लाख की लागत से शेडनेट का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। जिसमें टमाटर और शिमला मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है। जो टमाटर लगभग तैयार होने को है। खाली पड़े खेतों में बैगन, खीरा, कदीमा, झींगा, करेला लगाया गया है। 12 एकड़ जमीन के चारों तरफ चार दिवारी के रूप में देसी शतावर का पौधा लगाया गया है। किसानों का कहना है कि कुछ ही दिनों के बाद प्रत्येक 2 वर्षों पर प्रति पौधा 20 किलो शतावर का उत्पादन शुरू हो जाएगा। जिसका बाजार मूल्य कम से कम 15000 प्रति क्विटल है।

किसानों ने बताया कि? 5 एकड़ जल क्षेत्र में 12 पोखर का निर्माण किया गया है। सभी पोखर में मछली छोड़ दिया गया है। 10 या 7 महीने के बाद यहां मछली की बिक्री भी शुरू हो जाएगी। बताया कि? उद्यान निदेशालय कृषि विभाग द्वारा 5000 वर्ग मीटर पॉलीहाउस की भी स्वीकृति मिल चुकी है जिस पर लगभग 4600000 की लागत आएगी। पॉली हाउस के निर्माण हो जाने के बाद यहां बेमौसमी फलों व सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके अलावा प्याज भंडारण तथा बेकहाउस की भी स्वीकृति विभाग से मिल चुकी है। लॉकडाउन के बाद यह सभी कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। बताया कि? खाली पड़ी जमीनों मे। पपीता, कटहल व नींबू भी लगाया जाएगा।

----------------------------

औषधीय खेती की है योजना

समूह के रूप में खेती कर रहे प्रखंड क्षेत्र के दीपक कुमार, सुनील कुमार, सुषमा कुमारी, सत्य नारायण साह ने बताया कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में इस खेती को और बढ़ाया जाएगा। इन लोगों ने बताया कि वर्तमान परिवेश में औषधीय खेती की मांग बाजार में काफी अधिक है। वे लोग आसपास के जमीन मालिकों से बात कर रहे हैं। यदि जमीन मिल गई तो फिर बड़े भूभाग पर यहां औषधीय खेती की जाएगी। जिसमें शतावर, पीपली तथा सर्पगंधा की खेती की जाएगी। इसके अलावा बकरी पालन और गोपालन की भी उन लोगों की योजना है। कुल मिलाकर यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में पिपरा की यह धरती समेकित खेती प्रणाली के लिए किसानों के लिए न सिर्फ नजीर होगा, बल्कि औषधीय पौधों के उत्पादन का हब बनेगा।

----------------------------- कई विभागों से किसानों को मिली मदद

चारों किसानों का कहना है कि वैसे तो जिला कृषि पदाधिकारी ने उन लोगों को इस खेती के लिए प्रेरित किया। जिनका सहयोग और मार्गदर्शन उन लोगों को मिलता रहा। इसके अलावा कृषि विभाग से अलग हटकर अन्य विभागों का भी उन लोगों को काफी सहयोग मिला। जिसमें विद्युत विभाग, उद्यान विभाग का काफी सहयोग रहा। लेकिन किसानों की शिकायत गव्य विभाग से सुनने को मिला। किसानों ने बताया कि विश्व बैंक की योजना से उन लोगों ने 5 एकड़ खेतों में तालाब का निर्माण किया। जिसमें मछली का उत्पादन करीब 6 माह पूर्व ही शुरू किया गया। परंतु आज तक अनुदान की राशि उन लोगों को नहीं मिल पाई है। अनुदान की राशि को लेकर कई बार पशुपालन विभाग कार्यालय का चक्कर काट चुके हैं, परंतु विभागीय लापरवाही का आलम उन चारों किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

chat bot
आपका साथी