श्रद्धालुओं ने की माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना
संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) नवरात्र के पावन अवसर पर क्षेत्र के मंदिरों में भक्तों की भ
संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल) : नवरात्र के पावन अवसर पर क्षेत्र के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। क्षेत्र के करजाईन बा•ार, रतनपुर पुराना बा•ार, रतनपुर नया बा•ार, संस्कृत निर्मली, बसावनपट्टी, ढाढा, बौरहा, परमानंदपुर, साहेवान, मोतीपुर आदि जगहों पर स्थित दुर्गा मंदिरों में सुबह से ही मां जगदंबे की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु जुटने लगते हैं। नवरात्र के छठे दिन श्रद्धालुओं ने माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की। साथ ही रतनपुर पुराना बा•ार सहित अन्य जगहों पर संध्या भजन-कीर्तन में मां के भक्त पहुंच रहे हैं। करजाईन बा•ार दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण शारदा, सचिव अमरेंद्र मेहता उर्फ लाल, रतनपुर पुराना बा•ार दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष तपेश चंद्र मिश्र व सचिव संजय कुमार सुमन ने बताया कि नवरात्र के प्रथम दिन से ही पूर्ण भक्तिभाव व विधि-विधान से माता की पूजा-अर्चना की जा रही है। प्रशासनिक दिशा-निर्देश का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
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काल का नाश करने वाली है कालरात्रि
जगतजननी श्रीदुर्गा का सप्तम रूपांतर श्रीकालरात्रि है। ये काल का नाश करनेवाली देवी हैं। इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्र के सप्तम दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि श्री कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है। इनका शरीर घने अंधकार की तरह काला एवं बाल बिखरे हुए हैं। इनके तीन नेत्र हैं। जिनसे विद्युत के समान चमकीले किरण निकलते रहते हैं, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देनेवाली हैं। इसलिए इनका नाम शुभंकरी भी है। इनके भक्तों को कभी भी भय व आतंक का डर नहीं होता है। श्रीकालरात्रि शत्रुओं का विनाश करनेवाली हैं। दैत्य, दानव, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह व बाधाओं को भी दूर करनेवाली देवी हैं। इनके उपासक को अग्नि भय, आकाश भय, वायु भय, जल भय, जंतु भय, रात्रि भय, यात्रा भय आदि कभी नहीं होते। मां कालरात्रि की कृपा से वह सर्वथा भयमुक्त हो जाता है। इनका वाहन गर्दभ है। आचार्य ने बताया कि इनकी आराधना के दौरान साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) में स्थिर कर साधना करनी चाहिए। श्रीकालरात्रि की साधना से साधक को भानुचक्र जागृत की सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं।