कूड़े के ढेर में आग लगा देने से बढ़ रहा वायु प्रदूषण
सुपौल । वायु प्रदूषण को लेकर पूरा विश्व चितित है। यह कमोबेस हर जगह मौजूद है। इसके प्रभाव क
सुपौल । वायु प्रदूषण को लेकर पूरा विश्व चितित है। यह कमोबेस हर जगह मौजूद है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए उपाय पर उपाय ढूंढ़े जा रहे हैं। लेकिन सुपौल नगर परिषद द्वारा हर रोज शहर से निकलने वाले कूड़े के ढ़ेर में आग लगा कर इस वायु प्रदूषण को बढ़ाया ही जा रहा है। आग लगे उस कूड़े के ढ़ेर से उठने वाले धुएं यहां की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों से निकलने वाले धुएं से कहीं अधिक खतरा पैदा कर रही है। मालूम हो कि बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते देश के कई शहरों के लोग अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे शहरों की वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए कई जगह तो पॉलीथिन, पराली व कूड़ा को जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं। यह अलग बात है कि सुपौल में फिलहाल वायु प्रदूषण की स्थिति उन शहरों की तरह नहीं है। लेकिन समय रहते नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब यह शहर भी जहरीली हवा के कैद में होगी।
सिगल यूज प्लास्टिक व पॉलीथिन की रहती है भरमार नगर परिषद द्वारा शहर से निकलने वाले जिस कूड़े को ढ़ेर में आग लगा कर नष्ट किया जाता है उसमें सिगल यूज प्लास्टिक व पॉलीथिन की भरमार रहती है। इसे जलाने पर हानिकारक गैस का उत्सर्जन होता है जो हवा में फैल वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है। सबसे बड़ी बात है कि नगर परिषद कूड़े के ढेर को जलाने का काम मुख्य सड़क के किनारे ही करती है। मौजूदा समय में सुपौल-सहरसा मार्ग के बगल डा. जगन्नाथ मिश्र इंटर महाविद्यालय के बगल में गिरे कूड़े के ढेर में लगी आग को देखा जा सकता है। उक्त कूड़े के ढेर पर सिगल यूज प्लास्टिक व पॉलीथिन यूं ही देखे जा सकते हैं। शहर के अन्य भागों में भी इसी तरह कूड़े को जलाने का काम नगर परिषद द्वारा लगातार किया जाता है। कूड़े में मिले सिगल यूज प्लास्टिक व पॉलीथिन को उचित निस्तारण की जरुरत है न कि जलाने की।
पॉलीथिन जलाने पर है जुर्माना पॉलीथिन जलाने पर जुर्माने की भी व्यवस्था है। लेकिन कूड़े के ढ़ेर में पॉलीथिन जलाने वाले से जुर्माना कौन वसूले जिसे सरकार ने पॉलिथीन के प्रयोग करने वालों से जुर्माना वसूलने के लिए शक्ति प्रदान की है। बिहार सरकार ने 23 दिसंबर से पूरे सूबे में पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। बावजूद इसके पॉलिथीन का प्रयोग सुपौल शहर में बंद नहीं हो पाया। प्रतिबंध के कुछ दिन तक तो पॉलीथिन नजर नहीं आ रहा था क्योंकि नगर परिषद कड़ाई से जुर्माने वसूल रही थी। लेकिन बाद में यह सब बंद हो गया और पॉलिथीन का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा। यही पॉलिथीन कूड़े के ढ़ेर में चला जाता है जो वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। मालूम हो कि बायो मेडिकल वेस्ट, पैक खाद्य पदार्थ, दूध व दूध से बने उत्पाद और नर्सरी प्लांट के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कैरी बैग को छोड़कर सभी तरह के कैरी बैग को प्रतिबंधित किया गया है। इसके लिए 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलीथिन थैली उपयोग करने वाले, आयातकर्ता, विनिर्माणकर्ता, वितरक, भंडारकर्ता, व्यापारी और थोक विक्रेताओं को जुर्माने की व्यवस्था है। वहीं बिहार म्युनिसिपैलिटी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट बायलाज 2018 के ड्राफ्ट में पहली बार पॉलीथिन उपयोग करते पकड़े जाने पर जहां आम आदमी को सौ रुपये जुर्माना भरना होगा वहीं व्यवसायिक उपयोग करते पकड़े जाने पर पहली बार 1500 रुपये तथा पहली बार खुले में प्लास्टिक जलाते पकड़े जाने पर दो हजार से लेकर पांच हजार रुपये जुर्माने की व्यवस्था है।