गोनहा बना मेंथा ग्राम, समृद्ध हो रहे किसान

सुपौल। जिले का त्रिवेणीगंज प्रखंड स्थित एक छोटा सा गांव गोनहा के किसानों ने खेती के बल पर ग

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 01:18 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 01:18 AM (IST)
गोनहा बना मेंथा ग्राम, समृद्ध हो रहे किसान
गोनहा बना मेंथा ग्राम, समृद्ध हो रहे किसान

सुपौल। जिले का त्रिवेणीगंज प्रखंड स्थित एक छोटा सा गांव गोनहा के किसानों ने खेती के बल पर गांव को अलग पहचान दिलाई है। यहां के किसानों ने मेंथा को मुख्य फसल में शामिल कर अपनी आमदनी को कई गुणा बढ़ा कर अन्य गांव के किसानों के लिए नजीर बना दिया है। मेंथा की खेती के प्रति किसानों के जोश-जज्बा को देख कृषि विभाग ने भी इन गांव के किसानों के प्रति दरिया-दिली दिखाई है। मेंथा खेती को ले जिले को मिले लक्ष्य में से आधे से अधिक लक्ष्य गोनहा के किसानों में ही बांट दिए हैं और विभाग जल्द ही इस गांव को मेंथा गांव घोषित करने की तैयारी में जुटा है। दरअसल 2008 में हुई कुसहा-त्रासदी के बाद बाढ़ ने इस गांव को भी अपने चपेट में ले लिया था। जिससे यहां उर्वरा शक्ति से भरी-पूरी खेती लायक जमीन बालू से पट गई थी। यहां के किसानों के सामने खेती करना एक नई चुनौती सी हो गई थी। इसी बीच यहां के किसानों ने परंपरागत की जाने वाली खेती से अलग हट कर मेंथा खेती को ही जीविका का मुख्य साधन बना लिया। आज यहां के किसान न सिर्फ बड़े पैमाने पर मेंथा का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि मेंथा से तेल निकाल कर उन्हें बाजारों में उंचे दामों पर अपनी आमदनी को बढ़ा कर सुख की ¨जदगी जी रहे हैं। गांव में स्थापित है आठ भट्ठी गत कुछ वर्षो से जब यहां मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी तो शुरुआत में उन्हें बाजार उपलब्ध होने में थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन धीरे-धीरे यहां के किसानों ने इसका उपाय ढूंढ़ लिया। उत्पादित मेंथा का तेल बना कर जब वे बाजार ले गए तो उन्हें आसानी से बाजार भी मिलने लगा तथा मुनाफा भी ज्यादा हुआ। देखा-देखी आज गांव में आठ भट्ठी चालू है। मांग के अनुरूप भट्ठी में तैयार मेंथा का तेल बेच कर आज यहां के किसान मालोमाल हो रहे हैं। क्या कहते हैं किसान गोनहा के किसान हरि प्रसाद साह, अशोक साह, सिहेंश्वर साह, इन्द्रदेव साह आदि ने बताया कि शुरूआती काल में तो लगा कि आखिर क्या होगा। लेकिन उपाय भी दूसरा नहीं था। कुसहा-त्रासदी के कारण उपजाऊ जमीन बालू से अटा-पटा था। कृषि विभाग से मिली प्रेरणा उपरांत जब वेद लोग इस खेती को अपनाया तो उपज तो हुई, परन्तु बाजार का अभाव बना था। इसके बाद वे लोग एक भट्ठी का निर्माण कर तेल को जब बाजार ले गए तो उनकी मांग काफी अधिक थी। धीरे-धीरे लोगों तक जानकारी होने के बाद अब तो मांग के अनुरूप पूर्ति ही नहीं कर पाते। किसान ने आगे बताया कि पिछले साल यहां करीब 65 परिवार ने इस खेती को किया था। पिछले वर्ष 14 सौ रुपये लीटर तेल की बिक्री हुई थी।

-कोट

वास्तव में गोनहा के किसानों ने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद थी। मेंथा की खेती को अपना कर यहां के किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हुए हैं। किसानों की तकनीक व जज्बा को देख विभाग ने जिले को मिले 50 हेक्टेयर में से 30 हेक्टेयर मेंथा की खेती का लक्ष्य गोनहा को ही देने का फैसला लिया है। जल्द ही इस गांव को मेंथा ग्राम घोषित कर दिया जाएगा। -प्रवीण कुमार झा, जिला कृषि पदाधिकारी

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