जातीय फार्मूले पर हल होने लगे हार-जीत का गणित
सुपौल । विधानसभा चुनाव के लिए नाम निर्देशन की प्रक्रिया मंगलवार को संपन्न हो गई। आज नामांकन प˜
सुपौल । विधानसभा चुनाव के लिए नाम निर्देशन की प्रक्रिया मंगलवार को संपन्न हो गई। आज नामांकन पत्रों की संवीक्षा होगी। फिर 23 अक्टूबर को नाम वापस लेने की तिथि निर्धारित है। मतदान सात नवंबर को होना है लेकिन अभी से गांव हो या शहर हर जगह जातीय फार्मूले पर हार-जीत का गणित हल होने लगा है।
चुनाव सिर पर है तो चुनावी चर्चा लाजिमी है। प्रत्याशियों का क्षेत्र भ्रमण भी शुरू हो गया है। क्षेत्र भ्रमण में मतदाता अपने गिले-शिकवे सुनाते हैं तो प्रत्याशी अपना पक्ष रखते हैं, बातों से शिकायतों को दूर का प्रयास होता है। भविष्य की कार्ययोजनाएं होती हैं। प्रत्याशी अपनी बात कहकर विदा हुए और चुनाव पर चर्चा शुरू हो जाती है। दो व्यक्ति एक जगह जमा हुए नहीं कि चुनाव पर चर्चा छिड़ जाती है। यह आवश्यक नहीं यह चर्चा प्रत्याशी के आने या जाने के बाद ही हो। हर जगह यही चर्चा केंद्र में है। चाहे बस में यात्रा कर रहे यात्री हों या फिर चौक-चौराहे की चाय दुकान लोग इसी चर्चा में मशगूल दिखते हैं। दो लोगों तक तो चर्चा होती है इससे जैसे ही संख्या बढ़नी शुरू होती है कि यह चर्चा बहस का रूप ले लेती है। सभी के अपने-अपने पक्ष होते हैं अपने-अपने तर्क होते हैं। किस जाति के प्रत्याशी के कितने वोटर हैं बात यहीं से शुरू होती है। कहीं दो स्वजातीय उम्मीदवार मैदान में हैं तो फिर उनकी उपजाति पर चर्चा चलती है। उनका राजनीतिक कद मापा जाता है। कभी-कभी तो दो स्वजातीय की टक्कर में तीसरे की जीत की घोषणा भी कर दी जाती है। इस दौरान पिछले चुनाव में हुए मतदान की भी चर्चा होती है। इसमें चर्चा यह भी कि अगर जीते तो कौन सा कारण था और अगर हार गए तो अपनी जाति ने कहां भितरघात किया था, कहां चूके थे। तरह-तरह की चर्चाएं दिनों शहर के चौक-चौराहे से लेकर गांव की चौपाल तक में आम है।