फर्जी वोटिग को रोकने के लिए लगाए जाएंगे बायोमैट्रिक सिस्टम

सुपौल । इस बार के पंचायत चुनाव कई मायने में अलग दिखेंगे। चुनाव में जहां पहली बार ईवीएम और

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 06:46 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 06:46 PM (IST)
फर्जी वोटिग को रोकने के लिए लगाए जाएंगे बायोमैट्रिक सिस्टम
फर्जी वोटिग को रोकने के लिए लगाए जाएंगे बायोमैट्रिक सिस्टम

सुपौल । इस बार के पंचायत चुनाव कई मायने में अलग दिखेंगे। चुनाव में जहां पहली बार ईवीएम और बैलेट दोनों का प्रयोग किया जाएगा। वहीं फर्जी वोटिग को रोकने के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम भी लगाए जाएंगे। ताकि मतदाताओं का बायोमेट्रिक सत्यापन हो सके और मतदाता अपने मूल मतदान केंद्र के अतिरिक्त अन्य किसी भी मतदान केंद्र पर दोबारा मतदान नहीं कर सके। आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन सभी केंद्रों पर बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने की तैयारी में जुट चुका है। निश्चित ही इस व्यवस्था के लागू हो जाने से फर्जी मतदान पर रोक लगेगी।

------------------------------------- क्या है बायोमैट्रिक सत्यापन

मतदान केंद्रों पर लगने वाले बायोमैट्रिक सिस्टम मतदाताओं के अंगूठे का निशान, उनका फोटो, इफेक्ट तथा मतदाता पर्ची का फोटो से संबंधित बायोमेट्रिक प्रणाली के डेटाबेस में सुरक्षित करेंगे। इन सभी की जानकारी डाटा क्लाउड पर होस्टेड सर्वर पर संग्रहित होगा। सभी डाटा संग्रहित हो जाने के बाद कोई मतदाता यदि दोबारा मतदान करने आता है तो सिस्टम उसे तत्काल डुप्लीकेट मतदाता के रूप में चिन्हित कर लेगा। बायोमैट्रिक सत्यापन प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त कर्मी तैनात किए जाएंगे। प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक तकनीकी कर्मी बायोमैट्रिक उपकरण एवं टेबलेट के साथ कर्मी प्रतिनियुक्त रहेंगे, जो मतदाताओं का अंगूठा का निशान, उनका फोटो, मतदाता पर्ची आदि को बायोमैट्रिक प्रणाली के डेटाबेस में सुरक्षित करेंगे।

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बायोमैट्रिक सत्यापन विधि बायोमैट्रिक सत्यापन विधि यदि किसी मतदान केंद्र पर इंटरनेट कनेक्टिविटी बाधित होती है तो उस परिस्थिति में भी उस मतदान केंद्र पर मतदाता यदि दोबारा मतदान करने आता है तो सिस्टम उसे तत्काल डुप्लीकेट मतदाता के रूप में चिन्हित कर लेगा। कारण है कि मतदान केंद्र पर जितने भी मतदाता मत का प्रयोग करने आएंगे उनका पूर्व से ही अंगूठे का निशान खींचा गया। फोटो, पहचान पत्र टेबलेट में सुरक्षित किया जाता रहेगा। इतना ही नहीं टेबलेट में उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची पहले से ही संग्रहित होगी। इसके अलावा समय-समय पर मतदान की संख्या का भी पता इससे आसानी से लगाया जा सकता है। प्रत्येक 2 घंटों पर वोटर टर्नआउट प्राप्त की जा सकेगी। इसके अंतर्गत मतदान के अंत में सिस्टम पर कितने मतदाताओं द्वारा मत का प्रयोग किया गया। यह भी पता चल सकेगा साथ ही योग्य एवं डूब्लीकेट मतदाता को भी इससे चिन्हित किया जा सकेगा।

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