सुपौल में पारिश्रमिक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे कलाकार

मुख्यमंत्री नारी शक्ति अभियान के तहत नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने वाले सुपौल जिले के कलाकार अपनी पारिश्रमिक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:31 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:31 PM (IST)
सुपौल में पारिश्रमिक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे कलाकार
सुपौल में पारिश्रमिक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे कलाकार

सुपौल। मुख्यमंत्री नारी शक्ति अभियान के तहत नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने वाले सुपौल जिले के कलाकार अपनी पारिश्रमिक के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जबकि उक्त कार्य के आलोक में संबंधित संस्था को भुगतान भी किया जा चुका है।

जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाकर थक चुके कलाकार अब आत्मदाह पर उतारू होने को विवश हो रहे हैं। इस आलोक में महिला विकास निगम बिहार के परियोजना निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव ने मनोज फाउंडेशन बिदुपुर बाजार वैशाली को एक सप्ताह के अंदर कलाकारों का बकाया मानदेय भुगतान कर निगम को सूचित करने के लिए कहा था, अन्यथा निगम द्वारा संस्था पर विधि सम्मत कार्रवाई करने अथवा संस्था को काली सूची में डालने की बात भी कही गई थी। बावजूद संबंधित संस्था द्वारा अब तक महिला विकास निगम को भुगतान से संबंधित कोई सूचना नहीं दी गई है। कला जत्था के टीम लीडर पिपराखुर्द वार्ड नंबर 4 निवासी इंदल कुमार ने बताया कि महिला विकास निगम द्वारा जारी आदेश के आलोक में मनोज फाउंडेशन को सुपौल जिला में जागरूकता कार्यक्रम चलाने को लेकर आदेश मिला था। इसी आलोक में मनोज फाउंडेशन के द्वारा सुपौल जिले के कलाकारों से जिले के 180 गांव में दहेज प्रथा एवं बालविवाह अभियान पर नुक्कड़ नाटक करवाया गया। इस अभियान को स्थानीय कलाकारों द्वारा सफल बनाया गया। जिसका भुगतान संबंधित संस्था को किया जा चुका है। कितु संस्था हम कलाकारों को भुगतान नहीं कर रही है और डेढ़ साल से भुगतान के नाम पर टालमटोल करती चली आ रही है। टीम लीडर द्वारा बताया गया कि भुगतान को लेकर उनके द्वारा तथा उनके कला जत्था के कलाकारों द्वारा जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई गई। कितु संबंधित संस्था द्वारा उन लोगों का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि महिला विकास निगम में उनके द्वारा संस्था के विरुद्ध परिवाद पत्र भी दाखिल किया गया है और निगम द्वारा संबंधित संस्था को कलाकारों का बकाया मानदेय भुगतान कर निगम को सूचित करने का आदेश भी निर्गत किया गया है। बावजूद संस्था के कान पर जूं नहीं रेंग रही है और संस्था हम कलाकारों की पारिश्रमिक डकार जाने खेल खेल रही है।

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