जीएसटी में विसंगतियों के विरुद्ध दिया गया धरना, तत्काल संशोधन की मांग
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून की विसंगतियों और इसमें तत्काल संशोधन की मांग को लेकर अधिवक्ताओं लेखापालों व्यापारियों एवं जीएसटी कार्यप्रणाली से जुड़े तमाम गणमान्य लोगों ने शुक्रवार को वाणिज्य कर विभाग सुपौल के कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना देकर अपनी मांगों को बुलंद किया।
सुपौल। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून की विसंगतियों और इसमें तत्काल संशोधन की मांग को लेकर अधिवक्ताओं, लेखापालों, व्यापारियों एवं जीएसटी कार्यप्रणाली से जुड़े तमाम गणमान्य लोगों ने शुक्रवार को वाणिज्य कर विभाग सुपौल के कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना देकर अपनी मांगों को बुलंद किया। मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि धरना प्रदर्शन का यह कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष के अंचल कार्यालय के समक्ष किया जा रहा है। कहा कि कानून की विसंगतियों के कारण व्यवसायी आर्थिक एवं मानसिक रूप से पीड़ित, प्रताड़ित और अवसाद में जी रहे हैं। अब जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक अनिवार्यता है और पूरी अर्थव्यवस्था व्यावहारिक रूप से जीएसटी की सफलता पर ही निर्भर है। लेकिन इस समय जीएसटी के संबंध में जो स्थिति चल रही है उससे भारतवर्ष के व्यापारी वर्ग की स्थिति अब असहनीय हो गई है और उनकी परेशानियां बढ़ती ही जा रही है। इसलिए अब सरकार को चाहिए कि वह इन समस्याओं पर ध्यान दें और इसके लिए सुधारात्मक कदम उठाएं। अन्यथा जीएसटी भारतीय उद्योग एवं व्यापार के लिए एक दीर्घकालीन समस्या बनकर इसे नुकसान पहुंचाएगा। धरना के उपरांत सुझाव और कानून में संशोधन हेतु प्रतिवेदन राज्य कर संयुक्त आयुक्त सुपौल अंचल सुपौल के कार्यालय में समर्पित किया गया तथा आशा जताई गई के व्यापारियों की आवाज को राज्य कर संयुक्त आयुक्त द्वारा विभाग के उच्चाधिकारियों व सरकार तक पहुंचाने की पहल की जाएगी तथा तत्काल प्रभाव से मांगों को मानकर व्यापारियों के साथ न्याय किया जाएगा। इस धरना कार्यक्रम में सुनील कुमार संथालिया, चंद्रकांत झा, रोहित सिंह, शैलेंद्र मिश्रा, संदीपन, तारणी जयसवाल, सोनू पंसारी, उमेश सुल्तानिया, अविनाश अग्रवाल, परेश जैन, सोनू अग्रवाल, गिरीश मिश्रा, रविद्र कुमार जायसवाल, आनंद वर्मा, सुनयना देवी, रवि कुमार जैन, मुकेश कुमार जैन, मोहन कुमार सहित दर्जनों अधिवक्ता व व्यापारी मौजूद थे।