मुद्दा:::52 साल में भी नहीं बदल सकी मरौना प्रखंड कार्यालय की तस्वीर

श्री रामनवमी आदर्शों के आधार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के इस धरती पर अवतीर्ण होने का पुण्य दिवस है। शास्त्र एवं संहिता ग्रंथ व रामचरित मानस के ग्रंथानुसार चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को मध्यान बेला में पुनर्वसु नक्षत्र के योग में जब चंद्रिका चंद्रमा और बृहस्पति एकत्र थे व पंचीग्रह अपनी उच्चावस्था में थे तथा सूर्य मेष राशि में एवं लग्न कर्क राशि में थी तब परमब्रह्म सच्चिदानंद परमपिता परमेश्वर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 12:31 AM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 12:31 AM (IST)
मुद्दा:::52 साल में भी नहीं बदल सकी मरौना प्रखंड कार्यालय की तस्वीर
मुद्दा:::52 साल में भी नहीं बदल सकी मरौना प्रखंड कार्यालय की तस्वीर

मनोज कुमार, मरौना(सुपौल): आजादी के कई वर्ष बीत गए इस दरम्यान बहुत कुछ बदला पर नहीं बदली तो मरौना प्रखंड कार्यालय की तकदीर व तस्वीर। चुनाव आने पर स्थानीय मुद्दे को हवा देकर वोट हथियाने की राजनीति जरूर होती है। लेकिन चुनाव जीतते ही सभी मुद्दे हवा.हवाई हो जाते हैं और क्षेत्र के लोग अपने.आप को ठगा महसूस करते हैं। मरौना को प्रखंड बने 52 साल गुजर गये लेकिन आज भी हालात वहीं है। कभी इस धरती को काला पानी के रूप में जाना जाता था। तथा यहां के लोगों के लिए ये नियति बन गई है। जिससे निकलने की जद्दोजहद में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है यह प्रखंड। पांच दशक पूर्व 1964 ई में सुपौल जिला का मरौना प्रखंड अस्तित्व में आया। निर्मली शहर के हाई स्कूल स्थित भीमराज राईस मील में प्रखंड कार्यालय स्थापित हुआ। परन्तु 1987 में भीषण बाढ़ की तबाही के कारण प्रखंड कार्यालय को परियोजना बालिका उच्च विद्यालय बेलही में स्थापित कर दिया गया। बाढ़ के कारण ही बेलही पंचायत भवन फिर सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया गया। जहां आज तक कार्यालय संचालित है। जिसे आज तक अपना भवन व जमीन नसीब नहीं हुआ। प्रखंड बनाने का मूल उद्देश्य था कि कोसी के तांडव से त्रस्त इस क्षेत्र का समुचित विकास ताकि यहां के लोगों को समाज की मूल धारा से जोड़ कर क्षेत्र का विकास और तरक्की हो। लेकिन आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। 65 वर्ग मील क्षेत्रफल में स्थित प्रखंड क्षेत्र में कुल 13 पंचायत है। जिसमें तीन पंचायत सिसौनी घोघरड़िया एवं बरहरा की आधी-आबादी आज भी कोसी की बिलखती धारा के बीच अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में है। जिसके लिए आज तक स्थाई व्यवस्था भी सुनिश्चित नहीं की गई। साल के 6 महीने कोसी की विभीषिका को झेलना कोसी बीच के लोगों की नियति रही है। जहां न तो सड़क है न ही बिजली। जहां तक आवास की बात है तो विभाग द्वारा कोसी के बीच के लोगों के लिए आवास भी आवंटित नहीं किया जा सका है। लोगों की मानें तो प्रखंड क्षेत्र की ज्यादातर आबादी सरकारी विकास योजनाओं की जानकारी से आज भी कोसो दूर है। गांव के लोगों को प्रखंड कार्यालय जाने के लिए 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। और कई गांव के लोग के लिये आज भी यातायात के लिए पगडंडी का सहारा है। मनरेगा के द्वारा कुछ सड़क का निर्माण कार्य तो होता रहा है। लेकिन वह भी नाकाफी है। जहां तक सड़क की बात है तो निर्मली-मरौना एक मात्र मुख्य सड़क है। इसके अलावा और भी कुछ गांव की सड़क का पक्कीकरण किया गया है। लेकिन आज भी कई गांव के सड़क जर्जर है। प्रखंड का अपना भवन नहीं होना। कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के लिए आवास की समुचित व्यवस्था नहीं होने के चलते आज भी प्रखंड निर्मली के रहमो-करम पर चल रहा है। आम लोगों की सुने तो पंचायत कार्यालय का कार्य पंचायत में ना होकर निर्मली अनुमंडल में होता है। क्योंकि पंचायत के कर्मचारी हो या रोजगार सेवक अपना-अपना ठिकाना पंचायत की जगह निर्मली में बनाए हुए है। जहां से कार्यो का निष्पादन होता है।

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