आज हवन के साथ होगी कुंवारी कन्याओं की पूजा
नवरात्रि में नौ दिनों तक जिस तरह से माता दुर्गा की आवभगत और पूजा-अर्चना की जाती है उसी तरह से नवरात्रि में सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का दौर शुरू हो जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर उनका स्वागत सत्कार किया जाता है।
सिवान । नवरात्रि में नौ दिनों तक जिस तरह से माता दुर्गा की आवभगत और पूजा-अर्चना की जाती है, उसी तरह से नवरात्रि में सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का दौर शुरू हो जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर उनका स्वागत सत्कार किया जाता है। ईश्वर की आराधना कुंवारी के पवित्र रूप में करने से व्यक्ति के अन्दर आध्यात्म के प्रति अच्छी विचारधारा का विकास होता है। मनुष्य के अन्दर के मनोविकार एवं दुष्ट भावों का नाश होता है और समाज की नारियों के प्रति उसके भाव में पवित्रता आती है। इसी को ध्यान में रखकर नवमी को कुंवारी पूजन किया जाता है। नवमी को हवन के पश्चात उपासक द्वारा कुंवारी पूजन किया जाएगा। जिस प्रकार हिदू धर्म में ब्राह्माण भोज का महत्व है उसी प्रकार कुंवारी पूजन एवं भोज का महत्व है।
ऊं द्वीं दूं दुर्गाय नम: मंत्र की एक, तीन, पांच, या ग्यारह माला जपने और हवन करने से मां प्रसन्न होती हैं।
ऐसे करें कुंवारी पूजन :
हवन करने के पश्चात कुंवारियों को नए वस्त्र पहना कर विधिवत पूजा अर्चना कर उत्तम पकवानों का भोग लगा कर, दक्षिणा दान कर, आरती करें और अंत में उन कुंवारियों के झूठन को प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करें। साथ ही कन्याओं पर जल छिड़कर रोली-अक्षत से पूजन कर भोजन कराना तथा भोजन उपरांत पैर छूकर यथाशक्ति दान देना चाहिए। शास्त्रों में लिखा गया है की ऐसा करने से महाव्याधि (कुष्ठ ) जैसे रोगों का नाश होता है।