आज होगी देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा

नवरात्र के पांचवें दिन देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। स्कंदमाता प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं। मान्यता है कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपतियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 04:49 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 04:49 PM (IST)
आज होगी देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा
आज होगी देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा

सिवान । आज शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन है। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि नवरात्र के पांचवें दिन देवी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। स्कंदमाता प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं। मान्यता है कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपतियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। इससे उनकी मुरादें पूरी होंगी। भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता होने के कारण मां भगवती के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। देवी के इस स्वरूप में भगवान स्कंद बालरूप में माता की गोद में विराजमान हैं। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है। शुभ्र वर्ण वाली मां कमल के पुष्प पर विराजित हैं। स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है। कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। स्कंदमाता को भोग स्वरूप केला अर्पित करना चाहिए। मां को पीली वस्तुएं प्रिय होती हैं, इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं। नवरात्र के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री लाल फूल और अक्षत के समेत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जो भक्त देवी स्कंद माता का भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।

इस मंत्र का करें जाप :

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।। या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। इस मंत्र से मां स्कंदमाता की पूजा करने पर नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। ऐसे करें मां की पूजा-अर्चना :

आचार्य ने बताया कि मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए। कुश अथवा कंबल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। पौराणिक तथ्यों के अनुसार, स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पूजा में कुमकुम, अक्षत से पूजा करें। चंदन लगाएं। तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं। पीले रंग के कपड़े पहनें। मां स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए।

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