बिखरा हुआ समाज बादशाह नहीं बन सकता

औरंगाबाद जिले में जब चुनाव सर पर आता है तो बहुत सारी जातियों के नेता अपने समाज को एकजुट होने की अपील करने लगते हैं। उसे गोलबंद करने की कोशिश करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 10:33 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 10:33 AM (IST)
बिखरा हुआ समाज बादशाह नहीं बन सकता
बिखरा हुआ समाज बादशाह नहीं बन सकता

गया। औरंगाबाद जिले में जब चुनाव सर पर आता है तो बहुत सारी जातियों के नेता अपने समाज को एकजुट होने की अपील करने लगते हैं। उसे गोलबंद करने की कोशिश करते हैं। वह नेता इस काम में सफल भी हो जाते हैं, जो जातीय समीकरण वाली धारा के साथ चल रहे होते हैं, लेकिन विपरीत धारा में वोट दिलाने की कोशिश करने वालों की हार प्राय: होती रहती है। ऐसा ही एक वाकया पिछले चुनाव का है, जब एक दल विशेष का जनप्रतिनिधि एक जगह जुटा एवं उसने लोगों से अपने दल को वोट देने की अपील की। वहीं पर एक व्यक्ति ने कहा कि जब चुनाव आता है तभी आप आते हैं और जिससे प्रतिरोध है उसी को वोट देने की बात करते हैं। ऐसे में आपकी बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अब इस बार जब सोशल मीडिया एक ताकतवर भूमिका में है तो केशव की पंक्ति प्रभावित करती है। उसने लिखा है- बिखरा हुआ समाज कभी बादशाह नहीं बन सकता, लेकिन आपस में लड़कर दुश्मनों को बादशाह जरूर बना देते हैं। कुछ समाज ऐसा है जो बिखरा हुआ है। उसमें राजनीतिक चेतना का अभाव है। उसका वोट बिखर जाता है एवं जो संगठित जाति है, उसके नेता जैसे भी हो चुनाव जीत जाते हैं। इस तरह के प्रभाव को कमजोर बनाने में केशव की पंक्तिया प्रभावित हो सकती हैं। लोग विचार कर सकते हैं कि बादशाह बनना है, या बन जाने देना है या बनाना है।

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