आवश्यक है मानव मल का सुरक्षित निपटान
सिवान । खुले में मल त्याग एक कुप्रथा है। जिसका असर वातावरण जल भंडार, भोजन, स्वास्थ्य व पर्यावर
सिवान । खुले में मल त्याग एक कुप्रथा है। जिसका असर वातावरण जल भंडार, भोजन, स्वास्थ्य व पर्यावरण को प्रभावित करता है। इसलिए स्वस्थ समाज के लिए मानव मल का सुरक्षित निपटान आवश्यक है। यह बातें सिसवन प्रखंड मुख्यालय में स्वच्छता को ले आयोजित कार्यशाला में बीडीओ अभिषेक चंदन ने कही। उन्होंने कहा कि एक ग्राम मानव मल में एक करोड़ वायरस, दस लाख वैक्टरिया, एक हजार परजीवी सिस्ट, एक सौ परजीवी अड़े पाये जाते है। एक मक्खी के एक पैर में एक मिली ग्राम मानव मल चिपक जाता है। उन्होंने कहा कि एक मक्खी के छह पैर होते है। इसी तथ्य से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शौचालय के अभाव में हम कितना असुरक्षित है। कार्यशाला में सीओ रामेश्वर सिंह, जीपीएस काशीनाथ राम, मुखिया ब्रजेश सिंह, सुशीला देवी, आनंद सिंह, अमलावती देवी ने भी अपने विचार प्रकट किये। कार्यशाला में उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों ने स्वच्छता के दायित्व की प्रतिबद्धता की शपथ दिलाई।