सिवान में शहीद की शवयात्रा में उमड़ी भीड़

लकड़ी नबीगंज प्रखंड के किशुनपुरा उत्तर टोला निवासी बच्चा सिंह के पुत्र व आर्मी के जवान बबलू कुमार सिंह का शव शनिवार की सुबह 6.30 में मलमलिया चौक के रास्ते उनके पैतृक गांव पहुंचा। किशुनपुरा पहुंचने के पूर्व मलमिलया चौक पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान दर्जनों तिरंगा झंडा को लहराते तथा भारत माता की जय बबलू भैया अमर रहें आदि नारे लगाते हुए लोग आगे-आगे पैदल चल रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:37 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:37 PM (IST)
सिवान में शहीद की शवयात्रा में उमड़ी भीड़
सिवान में शहीद की शवयात्रा में उमड़ी भीड़

सिवान। लकड़ी नबीगंज प्रखंड के किशुनपुरा उत्तर टोला निवासी बच्चा सिंह के पुत्र व आर्मी के जवान बबलू कुमार सिंह का शव शनिवार की सुबह 6.30 में मलमलिया चौक के रास्ते उनके पैतृक गांव पहुंचा। किशुनपुरा पहुंचने के पूर्व मलमिलया चौक पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान दर्जनों तिरंगा झंडा को लहराते तथा भारत माता की जय, बबलू भैया अमर रहें आदि नारे लगाते हुए लोग आगे-आगे पैदल चल रहे थे। सैकड़ों बाइक पर सवार युवकों के पीछे बड़े वाहन में बबलू का शव लेकर चालक धीरे-धीरे चलते हुए करीब आठ किलोमीटर रास्ता तय कर किशुनपुरा पहुंचा। दरवाजे पर शव पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ के कारण लोग छत, पेड़ आदि पर चढ़ शहीद का अंतिम दर्शन कर रहे थे। पूरा गांव बाइक, साइकिल तथा बडे़ वाहन से पट गया था। लोगो का कहना था कि इतनी भीड़ कभी नहीं देखी गई थी।

नरहरपुर नहर पुल के पास हुआ शहीद का अंतिम संस्कार :

दरवाजे पर श्रद्धांजलि देने के बाद शहीद के शव को पुन: जुलूस जैसे माहौल में अंतिम संस्कार के लिए नरहरपुर नहर पुल के पास लाया गया। वहां भी पुल व नहर के दोनों किनारे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान शहीद जवान के प्रति लोगों की श्रद्धा और देश के प्रति समर्पण की भावना परिलक्षित हो रही थी। घाट पर सजाए चिता पर शव रखने के बाद शहीद जवान के साथ आए आर्मी के जवानों ने पुष्प गुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद बाजे की धुन बजा शहीद को सलामी दी गई। शहीद बबलू सिंह के 12 वर्षीय पुत्र यश कुमार द्वारा ने मुखाग्नि दी। यह ऐसा वक्त था कि उपस्थित लोगों और स्वजनों की आंखें नम हो गई थीं।

शहीद बबलू बीकानेर में ड्यूटी पर था :

शहीद बबलू कुमार सिंह करीब 18 साल से आर्मी में रहकर देश सेवा में थे। कुछ दिनों से वह बीकानेर में तैनात थे। करीब 21 दिन पूर्व ड्यूटी के दौरान शाट सर्किट से घायल हो गए थे। उनका इलाज अस्पताल में चल रहा था। इस दौरान 21 जुलाई को उनकी मौत हो गई। कागजी प्रक्रिया के बाद शनिवार की सुबह शव गांव लाया गया।

भाई में अकेला था बबलू :

बबलू भाई में अकेला था। उसे दो बहनें हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। पिता बच्चा सिंह घर रहकर खेती गृहस्थी करते हैं। माता माया देवी घर पर ही रहती हैं। शहीद को एक पुत्र यश कुमार, पुत्री सिम्मी कुमारी तथा शिल्पी कुमारी और पत्नी विनीता सिंह हैं। शहीद बबलू सिंह मृदुभाषी तथा मिलनसार था। स्थानीय पूर्व मुखिया राजेश्वर प्रसाद ने बताया कि उसको सभी लोग बहुत प्यार करते थे। वह काफी मिलनसार व्यक्ति था। घर आने पर सबसे मिलना, समाचार पूछना और कोई जरूरत पड़ने पर मदद करना उसके व्यक्तित्व में शामिल था।

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