जब बमबारी के कारण अफसर की धोती हो गई गीली
औरंगाबाद जिले के सेवानिवृत्त शिक्षक ललन सिंह ने अपना दो दशक पुराना अनुभव साझा करते हुए बताया कि मतदान कराना पहले बहुत ही कठिन हुआ करता था। एक बार लोकसभा का चुनाव कराने के लिए विभाग ने उन्हें मजिस्ट्रेट बनाया था। बताया कि मतदान के लिए लोग कतार में खड़े थे। यहा दबे कुचले और पिछड़ों को वोट नहीं देने दिया जाता था। कतार में लगे लोगों ने साफ कहा कि महिलाएं हमारे यहा की वोट नहीं करतीं। हम खुद ही उनका वोट डाल देते हैं। इस बीच बरगद के पेड़ के पीछे से छिपकर बमबारी लोगों ने शुरू कर दी। वहा के अफसर की धोती बेचैनी में गीली हो गई।
गया । औरंगाबाद जिले के सेवानिवृत्त शिक्षक ललन सिंह ने अपना दो दशक पुराना अनुभव साझा करते हुए बताया कि मतदान कराना पहले बहुत ही कठिन हुआ करता था। एक बार लोकसभा का चुनाव कराने के लिए विभाग ने उन्हें मजिस्ट्रेट बनाया था। बताया कि मतदान के लिए लोग कतार में खड़े थे। यहा दबे कुचले और पिछड़ों को वोट नहीं देने दिया जाता था। कतार में लगे लोगों ने साफ कहा कि महिलाएं हमारे यहा की वोट नहीं करतीं। हम खुद ही उनका वोट डाल देते हैं। इस बीच बरगद के पेड़ के पीछे से छिपकर बमबारी लोगों ने शुरू कर दी। वहा के अफसर की धोती बेचैनी में गीली हो गई। काफी परेशान हो गए। इसके बाद ललन सिंह ने अपने साथ के पुलिस वालों का सहयोग लेकर बम चलाने वाले एक व्यक्ति को पकड़ा। घटना के बाद यहा तत्कालीन एसपी और डीएम पहुंचे। 3:00 बजे ही पोलिंग बंद कर दी गई। बताया कि एक गाव में विधायक को भी पीटा गया। नतीजा 800 मतदाताओं के बदले सिर्फ 280 ही मतदान हुआ। कहा कि एक दूसरी जगह भी नक्सलियों ने गोली चलायी। जिस कारण काफी दिक्कत हुई। कलस्टर बनने से हुई आसानी उन्होंने कहा कि आज परिवेश बदल गया है। कलस्टर बन जाने के कारण मतदान कराने वाली टीम को काफी सुविधा हो रही है। पहले सीधे बूथ पर ही जाना पड़ता था, इसलिए एक दिन पहले ही जाकर रात में किसी तरह गुजारा करना पड़ता था। नतीजा आसपास के प्रभावी लोग दबाव बनाते थे। अब कलस्टर पर ठहरने के कारण बूथ पर सीधे ही सुबह 7:00 बजे पोलिंग पार्टी पहुंच जाती है। इस कारण कई तरह की असुविधा अब नहीं होती।