सिवान में घरों में पढ़ी गई ईद की नमाज

कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को जिला मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्रों में ईद उल फितर का पर्व मनाया गया। हालांकि कोरोना महामारी के कारण ईद की रौनक फीकी रही। कोरोना वायरस के संक्रमण का डर और लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से सार्वजनिक स्थल ईदगाह तथा मस्जिदों में ईद की नमाज नहीं पढ़ी गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:40 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 10:40 PM (IST)
सिवान में घरों में पढ़ी गई ईद की नमाज
सिवान में घरों में पढ़ी गई ईद की नमाज

सिवान । कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को जिला मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्रों में ईद उल फितर का पर्व मनाया गया। हालांकि कोरोना महामारी के कारण ईद की रौनक फीकी रही। कोरोना वायरस के संक्रमण का डर और लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से सार्वजनिक स्थल ईदगाह तथा मस्जिदों में ईद की नमाज नहीं पढ़ी गई। मस्जिदों व ईदगाहों में सिर्फ इमाम ने ही नमाज पढ़ी। लोगों ने अपने-अपने घरों में या घर की छतों पर नमाज पढ़कर ईद मनाई। सबने कोरोना महामारी से निजात की दुआ मांगी। इस दौरान ना तो कोई गले मिला और ना ही पहले की तरह जिदादिली से बधाई ही दी। वहीं इस बार ईद की बधाई देने के लिए लोगों ने मोबाइल मीडिया का भरपूर उपयोग किया। लोगों ने गुरुवार की शाम चांद का दीदार होने के बाद मोबाइल, फेसबुक आदि पर संदेश भेजना शुरू कर दिया था। लॉकडाउन के कारण ईदगाह में गले मिलने की सारी ख्वाहिशें अधूरी रहीं। बच्चों की खुशियां हुई फीकी : ईद का त्योहार खुदा का इनाम है। ईद छोटे बच्चों के लिए काफी अहमियत रखता है। नए-नए कपड़े पहन दोस्तों व परिजनों से मिलने जाते थे। ईद की बधाई देते थे और बदले में उन बच्चों को ईदी भी मिलती थी। लेकिन इसबार वैश्विक आपदा कोरोना वायरस ने बच्चों की भी खुशियों को फीका कर दिया है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी ईद का पर्व कोरोना संक्रमण के पहले लहर में मनाया गया था। इस दौरान भी लॉकडाउन लगाया गया था। मोबाइल मीडिया ने किया सेतु का काम : ईद पर लोगों ने एक दूसरे के घरों में जाकर मुबारकवाद देने से तौबा कर ली थी। शारीरिक दूरी और लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के साथ हीं अपने और अपनों को सुरक्षित रखने के लिए दूसरों से दूरी भी रखी। एक दूसरे को मुबारक वाद देने में मोबाइल मीडिया ने सेतु का काम किया। बता दें कि गुरुवार रात चांद की तस्दीक हुई तो हर तरफ मुबारकबाद का दौर शुरू हो गया था। आमतौर पर हर साल ईद का चांद दिखने के बाद ईद मुबारक-ईद मुबारक की सदाए गूंज उठती थीं, लेकिन इस बार लॉकडाउन व कोरोना के प्रकोप के कारण लोग मोबाइल मीडिया के जरिए रिश्तेदारों और दोस्तों को मुबारकवाद पेश किए।

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