सिवान के स्कूली बच्चों को कहानियां सुनाकर किया जाएगा मानसिक विकास

जिले के स्कूली बच्चों को कहानियां सुनाकर उनकी मानसिक व बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए लाइफ का फंडा-टेक इट इजी कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कहानी सुना कर तनावरहित बनाने का अभियान चलाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:50 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:50 PM (IST)
सिवान के स्कूली बच्चों को कहानियां सुनाकर किया जाएगा मानसिक विकास
सिवान के स्कूली बच्चों को कहानियां सुनाकर किया जाएगा मानसिक विकास

सिवान । जिले के स्कूली बच्चों को कहानियां सुनाकर उनकी मानसिक व बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए 'लाइफ का फंडा-टेक इट इजी' कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कहानी सुना कर तनावरहित बनाने का अभियान चलाया जाएगा। सुने रोज एक नई कहानी, तारा और कबीर की जुबानी-लाइफ का फंडा टेक इट इजी कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा छठवीं से लेकर 12वीं तक के अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए आइवीआरएस के माध्यम से प्रतिदिन एक कहानी सुनाई जाएगी। इस प्रकार सप्ताह में कुल पांच दिन तक कहानी सुनाने के बाद बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्थिति एवं तनाव को कम करने के तरीकों पर बातचीत कर फीडबैक लिए जाएंगे।

बच्चों को योग और मेडिटेशन के दिए जाएंगे टिप्स :

प्राप्त जानकारी के अनुसार टेक इट इजी कार्यक्रम को 30 दिन के प्रोजेक्ट के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें हर दिन एक कहानी सुनाई जाएगी। यह कहानियां सुनना बच्चों के लिए काफी आसान है। कहानी सुनने के लिए अपने मोबाइल से 9266616444 पर केवल मिस्ड काल देनी है। इसके दो से पांच सेकेंड के बाद उस नंबर पर एक स्वचालित काल आएगी। इससे कहानी सुनाई जाएगी। कहानी समाप्त होने के बाद मानसिक तनाव से निजात के लिए योग और मेडिटेशन के भी टिप्स दिए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक आडियो कहानी आधारित कार्यक्रम प्रदान करना है, जो किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई को संबोधित करेगा। कला गतिविधियों से छात्रों के उनके डर, भावनाओं को व्यक्त करने, उन्हें प्रेरित करने, नई सकारात्मक आदतों को सीखने और लचीलापन बनने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार :

पहली बार बच्चों को प्रेरक व लाभप्रद कहानी सुनाकर उसका तनाव को कम किया जाएगा। बच्चों के अंदर के डर को समाप्त करने एवं उनमें सकारात्मक भाव पैदा किया जाएगा। इससे छात्र- छात्राओं का आत्मबल मजबूत होगा और कुछ नया सीखने को मिलेगा। सभी प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक को इस संबंध में पत्र देकर अधिक से अधिक बच्चों को इस कार्यक्रम से जोड़ने पर जोर दिया गया है।

मिथिलेश कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सिवान।

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