सिवान में ईद का चांद दिखते ही फिजा में गूंजने लगी मुबारकबाद

रमजान उल मुबारक का 30 वां रोजा गुरुवार को संपन्न हो गया। इफ्तार करने के बाद सबकी निगाहें चांद के दीदार को बेताब हो उठीं। ईद का चांद जैसे ही झलक दिखलाया सभी खुशी से झूम उठे। इसके बाद शुरू हुआ एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला। फोन की घंटियां हनहनाने लगीं। कोई फोन पर बात कर तो कोई मैसेज भेज कर ईद की मुबारकबाद दे रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 10:25 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 10:25 PM (IST)
सिवान में ईद का चांद दिखते ही फिजा में गूंजने लगी मुबारकबाद
सिवान में ईद का चांद दिखते ही फिजा में गूंजने लगी मुबारकबाद

सिवान । रमजान उल मुबारक का 30 वां रोजा गुरुवार को संपन्न हो गया। इफ्तार करने के बाद सबकी निगाहें चांद के दीदार को बेताब हो उठीं। ईद का चांद जैसे ही झलक दिखलाया सभी खुशी से झूम उठे। इसके बाद शुरू हुआ एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला। फोन की घंटियां हनहनाने लगीं। कोई फोन पर बात कर तो कोई मैसेज भेज कर ईद की मुबारकबाद दे रहा था। हर तरफ फिजा में खुशी की खुशबू छाने लगी। इस बार रमजान के 30 रोजे पूरे किए गए। एक दिन पहले 29 रमजान को भी चांद देखने की कोशिश की गई थी, लेकिन चांद नहीं नजर आया था और न ही कहीं से भी चांद देखे जाने की शहादत चांद कमेटी को मिल सकी थी। देर शाम तक चांद नजर आने की सूचना का इंतजार करने के बाद चांद कमेटी द्वारा रमजान के 30 रोजे पूरे करने और इसके बाद शुक्रवार को ईद की नमाज अदा करने का ऐलान कर दिया गया था।

14 मई को ईद मनाने का एलान :

मरकजी इदारह शरीया सुल्तानगंज के सदर काजी डॉ. अमजद रजा अमजद, सदर मुफ्ती मोहम्मद हसन रजा नूरी, मरकरी दारुल कजा इमारत शरीया (बिहार, उड़ीसा, झारखंड) फुलवारी शरीफ के काजी शरीयत हजरत मौलाना मोहम्मद अंजार आलम कासमी, खानकाह ए इमादिया कलंदरिया मंगल तालाब पटना के तालिब उल हक अमादी, साबिरी दारुल इफ्ता जामिया चिश्तिया खानकाह हजरत शेख उल आलम रुदौली शरीफ फैजाबाद के मौलाना मोहम्मद राशिद निजामी, अल जामियातुल अशरफिया मुबारकपुर के मोहम्मद निजामुद्दीन रिजवी ने भी एलान किया है कि 29 रमजानुल मुबारक (12 मई) को चांद देखने का एहतमाम किया गया। मगर चांद नजर नहीं आया और न ही कहीं से चांद देखने की खबर मौसूल हुई। इसलिए तीस की रवैयत का ऐतबार करते हुए 14 मई को ईद उल फितर मनाई जाएगी।

ईद की खरीदारी ने बदला बाजार का मिजाज

संसू, मैरवा (सिवान) : कोरोना लहर के आगे लोगों में इस बार त्योहार का उत्साह कुछ कम दिख रहा है। फिर भी ईद की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए गुरुवार के लोग बाजार में सुबह से ही निकल पड़े। पांच बजे सुबह से ही बाजार में भीड़ उमड़ने लगी। हालांकि दो दिनों से चल रही पुलिस की सख्ती का भी असर बाजार में दुकानदारों पर रहा।कपड़े और फुटवियर के लिए बाजार आए लोगों को काफी मशक्कत झेलनी पड़ी। पुलिस की सख्ती के कारण यह दुकानें बंद थीं। इक्का-दुक्का दुकानदार चोरी-छिपे मनमाने दाम पर कपड़े और फुटवियर सामान बेच रहे थे। ज्यादातर लोगों को फुटपाथ की दुकानों का ही सहारा लेना पड़ा। फुटपाथ के किनारे ठेले पर फुटवियर और रेडीमेड के कपड़े बेचे गए। वहां से भी खरीदारी खूब हुई। सुबह पांच बजे ही सभी दुकानें सज गईं। दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ रही। महिलाओं ने श्रृंगार सामग्री की भी खरीदारी की। ठेले पर चूड़ियां बेची गईं। हालांकि यहां ग्राहक आते जाते रहे। सेवई विक्रेताओं ने बताया कि पिछले साल की तरह इस बार भी सेवई की बिक्री कम रही। लोगों में त्योहारी उत्साह कम होने के कारण सेवइयां थोड़ा-थोड़ा खरीद कर ले गए। खरीदारी कम होने के कारण सेवई के भाव इस बार जमीन पर ही रहे। 80 से लेकर 140 रुपये तक प्रति किलो सेवइयां बेची गईं, इसमें किवामी सेवई 120 से 140 रुपये और लछा सेवई 80 से 90 रुपये प्रति किलो बेचे गए। टोपी और इत्र की दुकान भी बाजार में कम ही दिखी। गरीबों की ईद पर लगी कोरोना की नजर

संसू, मैरवा (सिवान) : इस बार की ईद लॉकडाउन की बंदिशों में कैद नजर आएगी। अपने चहेतों और पड़ोसियों को न गले लगाने की चाहत और न ईदगाह जाने की खुशी होगी। नए लिबास में भी कम ही लोग नजर आएंगे, क्योंकि इस बार कपड़े की खरीदारी भी बहुत कम लोगों ने की है। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान कपड़े और फुटवियर की दुकानों को खोलने की इजाजत नहीं थी। ईद की खरीदारी में कितने लोगों की रोजी-रोटी समाहित है। इसका अंदाजा सभी लगा सकते हैं लेकिन इस बार खरीदारी कम होने से सभी को निराशा हाथ लगी। लोगों ने सोचा कि पहले कोरोना से मुकाबला किया जाए। जान है तो जहान है। जिदगी रही और अगर इससे निबट लेते हैं तो हमारे लिए यह किसी ईद से कम न होगी। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना कि इस दूसरी लहर ने जिस तरह से शारीरिक दूरियों को बढ़ाने के साथ आर्थिक चोट दी है, उसका भी असर ईद पर पढ़ना लाजमी है। ईद के मतलब है खुशी। हर बार ईद की खुशी के चिरागों से कई घर रोशन होते हैं। मासूम बच्चों को भी साल भर से इस ईद का इंतजार रहता है। गरीब बेसहारा लोगों को भी ईद के चिराग से खुशियों की मिलने वाली रोशनी मंद दिखती नजर आ रही है। ईद में फितरह व जकात देने की व्यवस्था के पीछे इस्लाम का नजरिया यही है कि ईद की खुशी में गरीबों को भी शामिल होने का अवसर मिले और उनकी भी ईद हो जाए। उनके भी तन पर कपड़े नसीब हों और चूल्हे जले तो सेवाओं की महक फिजा में फैले। ऐसे में कोरोना के कारण आर्थिक परेशानी के बावजूद दिल खोलकर गरीबों और असहाय लोगों की मदद करने की जरूरत है।

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