सिवान में अधिक किराया देकर यात्रियों को सफर करना मजबूरी

कोरोना की दूसरी लहर थमते ही यात्री किराये में काफी बढ़ोतरी हुई। इस कारण यात्रियों को निर्धारित दर से दोगुना एवं ढाई गुना किराया देकर यात्रा करनी मजबूरी हो गई है। यदि वे मनमाना किराया नहीं देते हैं तो उन्हें वाहन संचालकों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है। कई बार तो वाहन संचालकों व यात्रियों के बीच मारपीट की नौबत आ जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 10:03 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 10:03 PM (IST)
सिवान में अधिक किराया देकर यात्रियों को सफर करना मजबूरी
सिवान में अधिक किराया देकर यात्रियों को सफर करना मजबूरी

सिवान । कोरोना की दूसरी लहर थमते ही यात्री किराये में काफी बढ़ोतरी हुई। इस कारण यात्रियों को निर्धारित दर से दोगुना एवं ढाई गुना किराया देकर यात्रा करनी मजबूरी हो गई है। यदि वे मनमाना किराया नहीं देते हैं तो उन्हें वाहन संचालकों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है। कई बार तो वाहन संचालकों व यात्रियों के बीच मारपीट की नौबत आ जाती है।

बताते हैं कि दारौंदा से सिवान की दूरी करीब 18 किलोमीटर है। पूर्व में सिवान का कराया 20 रुपये लगता था, लेकिन अब वाहन संचालकों द्वारा 50 से 60 रुपये जबरन वसूला जा रहे हैं। वहीं दारौंदा से महाराजगंज के दूरी पांच किलोमीटर है। पूर्व में यहां का किराया 10 रुपये लगता था, लेकिन अब 20 से 25 रुपये वसूले जा रहे हैं। वहीं दारौंदा से एकमा की दूरी 22 किलोमीटर है। पहले 20 रुपये किराया लगाता था, लेकिन अब 40 से 50 रुपये किराया लिए जा रहे हैं, दारौंदा से चैनवा व दारौंदा से बगौरा की दूरी करीब छह किलोमीटर है। पहले 10 रुपया किराया लगता था, लेकिन अब 20-25 रुपया किराया लग रहा है। इसके अलावा अन्य पटना का किराया 110 रुपये लगता था, लेकिन अब 300 रुपये लिए जा रहे हैं। यात्री राजीव भारती, कादिर अहमद, कृष्णा सिंह, मुकेश कुमार, रोहित कुमार, संजय कुमार सहित दर्जनों यात्रियों ने बताया कि वाहन संचालकों को बस में किराया सूची चिपका देनी चाहिए। ऐसा होने से यात्री अपना निर्धारित किराया देंगे तथा उन्हें गलतफहमी का शिकार होना नहीं पड़ेगा। वाहन में ठूंस-ठूंसकर बैठाए जाते हैं यात्री :

प्रशासन द्वारा वाहनों में सफर के दौरान कोविड गाइड लाइन के तहत यात्रियों को बैठाने का आदेश है, लेकिन वाहन संचालकों द्वारा यात्रियों को निर्धारित सीट से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है। इस दौरान वाहनों में शारीरिक दूरी की अनदेखी की जाती है। साथ ही यात्रा के समय बहुत कम ही लोग होंगे कि मास्क का उपयोग करते होंगे, अधिकांशत: लोग बिना मास्क के ही वाहन से यात्रा करते देखे जा रहे हैं। उनमें कोरोना की संभावित तीसरी लहर का कोई भय नहीं है। ---

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