लिट्टी पकौड़े तल कर रमावती ने बेटी को दिलाया मुकाम

बिहार की प्रथम महिला हैंड रेफरी बनने का गौरव हासिल करने वाली मैरवा धाम की राधा आज समाहरणालय में खेल कोटे से निम्न वर्गीय लिपिक है। वह हैंडबाल के 28 नेशनल प्रतियोगिता खेले चुकी है लेकिन उसके इस मुकाम तक पहुंचने में मां का बड़ा हाथ है। मां रमावती देवी ने मां की ममता तो दी ही पिता की जिम्मेदारी भी निभाई ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 09:15 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 09:15 PM (IST)
लिट्टी पकौड़े तल कर रमावती ने बेटी को दिलाया मुकाम
लिट्टी पकौड़े तल कर रमावती ने बेटी को दिलाया मुकाम

सिवान। बिहार की प्रथम महिला हैंड रेफरी बनने का गौरव हासिल करने वाली मैरवा धाम की राधा आज समाहरणालय में खेल कोटे से निम्न वर्गीय लिपिक है। वह हैंडबाल के 28 नेशनल प्रतियोगिता खेले चुकी है, लेकिन उसके इस मुकाम तक पहुंचने में मां का बड़ा हाथ है। मां रमावती देवी ने मां की ममता तो दी ही पिता की जिम्मेदारी भी निभाई । राधा जब छठवीं कक्षा में थी तभी पिता का साया उठ गया। वे मैरवा धाम पर एक होटल चलाते थे। इससे होने वाली आमदनी से परिवार का खर्च चलता था। पिता हंसनाथ गोड़ के देहांत के बाद राधा और उसके दो भाइयों के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी अब मां पर थी, लेकिन इसके लिए आमदनी के रास्ते बंद हो गए। तीनों बच्चे काफी छोटे थे। रमावती ने बच्चों को होटल के काम से दूर रखा। जैसे भी हो उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने की ठान ली। उधर अब होटल की जिम्मेदारी राधा के चाचा ने ले ली। तब राधा की मां रमावती देवी ने होटल में अपनी भागीदारी तय करते हुए पिता की भूमिका निभाने का निर्णय लिया। राधा की मां होटल की लिट्टी पकौड़ा तल कर घर से भेजती थी और चाचा उसे बेचते थे। इस तरह जो आमदनी होती उससे मां ने बच्चों का पालन पोषण किया। बेटी राधा को ग्रेजुएशन तक शिक्षा दिलाई। इसी दौरान राधा रानी लक्ष्मीबाई स्पो‌र्ट्स एकेडमी के प्रशिक्षक संजय पाठक से मिलकर खेल के क्षेत्र में कैरियर संवारने की इच्छा जताई। खेल के मैदान में उतरने पर मां ने उसे प्रोत्साहित किया। रमावती का एक बेटा कृष्णा आइटीआइ कर रहा है। दूसरा बेटा इस वर्ष मैट्रिक उत्तीर्ण हुआ है। वहीं रमावती का भरपूर साथ मिला तभी तो राधा ने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल भी हासिल किया है। वह ढाका में भारत और बांग्लादेश के बीच फ्रेंडली मैच भी खेल चुकी है और हैंडबॉल इंडिया की ग्रेड बी की रेफरी का दर्जा हासिल की है। अपनी मां को दुनिया की सबसे अच्छी मां बताते हुए वह कहती है मां नहीं होती यह मुमकिन नहीं था। पिता के संसार छोड़ कर जाने के बाद उनकी कमी कभी महसूस नहीं होने दी।

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