नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, खरना आज
सिवान लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नह
सिवान : लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। छठ व्रती घाटों पर स्नान कर शनिवार को खरना और रविवार को भगवान भास्कर को पहला सायंकालीन अर्घ्य प्रदान करेंगे। जिले में इस बार भी घाटों पर छठी मइया के गीतों की स्वर लहरियां नहीं सुनाई देगी, इस बार भी छठी मइया से मन्नतें खूब मांगी जाएंगी। घर-घर में छठ पूजा की तैयारी चल रही है। लोगों में इस बार इस बात को लेकर उमंग है कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ घर में मौजूद हैं। इधर महिलाओं ने गंगा स्नान कर चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत की। वहीं उनके परिजन गंगाजल लेकर घर पहुंचे। घरों में गूंज रहे छठ मइया के गीत से माहौल भक्तिमय हो गया है। शनिवार को व्रती दिन भर उपवास रख कर शाम में खरना का प्रसाद रोटी और खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगी। नए ईंट व मिट्टी के बने चूल्हे पर आम का लकड़ी जला खरना का प्रसाद बनाए जाने की परंपरा है। खरना के बाद छठवर्ती 36 घंटे तक निर्जला रहेंगे। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद रविवार को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना उपवास तोड़ेंगे। गौरतलब हो कि पिछले वर्ष भी कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को कम करने को लेकर लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान भी व्रतियों ने अपने-अपने घरों में ही छठ पूजा की थी और इस बार भी संक्रमण को कम करने के लिए लोगों से घरों में ही व्रत को मनाने की अपील की गई है।
अरवा चावल और कद्दू की सब्जी ग्रहण किया :शुक्रवार को नहाय-खाय पर छठ व्रतियों ने गंगा स्नान किया। इसके बाद छठ व्रती अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी ग्रहण किए। नहाए-खाय के दिन खासतौर पर कद्दू की सब्जी बनाकर खाने का महात्म्य है। जानकारों का मानना है कि कद्दू में पर्याप्त मात्रा में जल रहता है। इसे ग्रहण करने से कई तरह की बीमारियां खत्म होती हैं। वहीं चने की दाल भी ग्रहण की जाती है। चने की दाल बाकी दालों में सबसे अधिक शुद्ध है।
बाजार में बिक रही कोसी, दउरा, सुपली के अलावा अर्घ्य सामग्री :
चैती छठ शुरू होने के एक पखवाडे़ पूर्व ही घरों में माहौल बनना शुरू हो जाता था, वहीं प्रशासनिक तैयारियां भी। इसमें घाटों की साफ-सफाई का कार्य महत्वपूर्ण था। हालांकि इस बार अब तक ना तो घाट के साफ-सफाई का कार्य हीं शुरू किया गया और ना ही घरों में पर्व की पूर्णरूपेण तैयारी। बाजारों में भी रौनक नहीं है। छठ पर्व में उपयोग होने वाली सामग्रियों की बिक्री बाजार में शुरू हो गई है। इसमें कोसी, दउरा, सुपली व अर्घ्य सामग्री आदि प्रमुख है। हालांकि बाजार में सामान्य दिनों की अपेक्षा काफी कम भीड़ थी। इस दौरान महंगाई में आस्था भारी पड़ती दिखाई दी।
बाजार में पूजा संबंधित सामानों का मूल्य :
डाला (दउरा)- 150 से 350 रुपये प्रति पीस
कलसूप- 30 रुपये
गुड़- 45 से 65 रुपये
घी- 500 रुपये
साठी चावल- 60 से 80 रुपये
हल्दी- 60 रुपये
अदरक- 60 रुपये
अरुई- 60 रुपये
सुथनी- 60 रुपये
गागल- 40 से 60 रुपये जोड़ा
नारियल- 35 रुपये
अनानास- 25 से 30 रुपये
सेव- 80 से 150 रुपये प्रति किलो
संतरा- 50 से 80 रुपये प्रति किलो
अनार- 80 से 150 रुपये
सिघारा- 40 रुपये प्रति किलो
आम के लकड़ी 20 से 25 रुपये
केला- 35 से 50 रुपये प्रति दर्जन
कोसी- 60 से 120 रुपये