दो साल से बन कर तैयार जल मीनार, पर अब तक पानी का नहीं हुआ दीदार

सीतामढ़ी। शहर के कुल 28 वार्ड की करीब एक लाख की आबादी में 70 फीसद आबादी तक पेयजल की सुविधा नहीं पहुंच रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 12:34 AM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 06:15 AM (IST)
दो साल से बन कर तैयार जल मीनार, पर अब तक पानी का नहीं हुआ दीदार
दो साल से बन कर तैयार जल मीनार, पर अब तक पानी का नहीं हुआ दीदार

सीतामढ़ी। शहर के कुल 28 वार्ड की करीब एक लाख की आबादी में 70 फीसद आबादी तक पेयजल की सुविधा नहीं पहुंच रही है। इनमें से अधिकतर घरों में लोग निजी चापाकल या बिजली से चलने वाले मोटर पंप की सहायता से पानी का उपयोग करते हैं। वैसे गरीब तबके लोग जिनके पास अपना चापाकल नहीं है वे सार्वजनिक रूप से लगे चापाकल से पानी लाते हैं। वर्तमान में शहर की आबादी एक लाख के करीब है। उनके घरों तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी नगर परिषद की है। पर उसकी जलापूत्रि वयवस्था बेपटरी है। जल मीनारों के माध्यम से लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए शहर में 4 जल मीनार का निर्माण कराया गया। लेकिन इसमें से तीन अभी चालू नहीं हो सका है। क्योंकि कई जगहों पर पाइप बिछाने एवं कनेक्शन का कार्य पूरा नहीं हुआ है। ये जल मीनार बिहार जल पर्षद बोर्ड द्वारा बनाया गया है और इसका संचालन भी जल पर्षद बोर्ड द्वारा ही किया जा रहा है। नए बनाए गए चार जल मीनार में से सिर्फ एक जल मीनार चालू है। जिससे जलापूर्ति हो रही है। अगर ये तीनों जल मीनार से जलापूर्ति शुरू हो जाती तो शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो पाता। हालांकि इन जल मीनारों से जुड़े मोहल्ले में पानी की पाइप लाइन बिछाई गई है। लोगों के घरों तक पाइप का कनेक्शन भी किया गया है। लेकिन जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। कोट बाजार में पुराना जल मीनार के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उसकी जगह नया जल मीनार बनाया गया है। गर्मी के समय जल संकट से बचने के लिए नगर विकास विभाग एवं आवास विभाग द्वारा दिए निर्देश के आलोक में वार्डों में लगे चापाकलों एवं पुराना कुंओं का सर्वेक्षण कर उसकी मरम्मत व जीर्णोद्धार की योजना शुरू की गई है। इससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

कोट::

नगर परिषद अपने पास उपलब्ध संसाधन के बल पर लोगों पेयजल उपलब्ध कराने में तत्पर है। शहर में बनाई गई चार नए जल मीनारों में से एक चालू है। शेष को शीघ्र चालू करने की योजना पर काम हो रहा है।

अधिकतर जगहों पर पाइप बिछाने का काम हो चुका है। कई घरों में कनेक्शन भी दिए जा चुके हैं। राज्य जल पर्षद बोर्ड द्वारा जल मीनार का निर्माण कराया गया है। इसके चालू हो जाने से शहर के लोगों को पेयजल की सुविधा निर्बाध रूप से शुरू हो जाएगी।

-- विभा देवी, सभापति जागरूकता से दूर होगा जल संकट

आने वाले समय में अगर जल संकट से बचना है तो हमें जल संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। क्योंकि जल ही जीवन है। इन इलाकों में वैसे जल की कमी से अधिक जूझना नहीं पड़ता है। जिस कारण लोग पानी का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। इस दौरान काफी मात्रा में पानी बर्बाद भी होता है। लेकिन प्रकृति के इस अनमोल उपहार का हम संरक्षण नहीं करेंगे तो एक दिन जल संकट से जूझना पड़ेगा। इसके लिए पानी की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक होना होगा। घर हो या बाहर सप्लाई के नल को उपयोग के समय ही खोलें। काम होने के बाद उसे बंद कर दें। घरों व सार्वजनिक स्थलों में सोख्ता का निर्माण कराया जाए। पुराने कुंओं व तालाब का जीर्णोद्धार कर इसे उपयोग में लाया जाए। बारिश के मौसम में बरसात के पानी को जमा करने की व्यवस्था हो जिससे सिचाई एवं अन्य कार्यों में उपयोग में लाया जा सके। --- डॉ.कुणाल शंकर, विशेषज्ञ

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