समय पर निदान और उपचार हो तो बच सकते हैं स्ट्रोक से
सीतामढ़ी। शहर के हॉस्पिटल रोड स्थित नंदप्रभा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों क
सीतामढ़ी। शहर के हॉस्पिटल रोड स्थित नंदप्रभा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की ओर से ''वर्ल्ड स्ट्रोक डे'''' मनाया गया। इस अवसर पर डॉ. पीयूष राज की अगुवाई में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुखता से लकवा एवं इससे होने वाली समस्याओं से अवगत कराया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. राजन पांडे, डॉ.हिमांशु शेखर, डॉ.मुकेश ,डॉ. शशि शेखर झा, डॉ.अवधेश महतो, डॉ. अशरफ अली, डॉ.परवेज अली, डॉ. विकास आदि ने भाग लिया। इस विषय पर डॉ. पीयूष राज ने बताया यदि समय पर निदान और उपचार मिल जाए तो स्ट्रोक से बचा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार वर्तमान में केवल 10-15 फीसद स्ट्रोक पीड़ित ही पूरी तरह से ठीक हो पाते हैं। 25-30 फीसद में हल्की दिव्यांगता रह जाती है। 40-50 फीसद को गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ता है। जबकि 10-15 फीसद लोगों की स्ट्रोक के तुरंत बाद मौत हो जाती है। आम बोलचाल की भाषा में स्ट्रोक को लकवा, पैरालाइसिस, फालिस, ऊपरी हवा या जादू टोना के कारण उत्पन्न रोग समझा जाता है। लोगों को इसके सही इलाज के बारे में जागरूक करने की बहुत जरूरत है। स्ट्रोक के बाद समय पर इलाज और पुनर्वास से काफी फायदा होता है। इसका लक्ष्य स्ट्रोक के दौरान प्रभावित हुए मस्तिष्क के हिस्से के खो चुके कौशल को फिर से सीखना, स्वतंत्र होकर रहना और जीवन शैली की गुणवत्ता में सुधार करना है। पुनर्वास जितना जल्दी शुरू होता है, रोगी की खो चुकी क्षमताओं को वापस पाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। लोगों में स्ट्रोक के लक्षणों और समय पर इलाज के महत्व के बारे में जागरूकता को अधिक प्रमुखता दी जानी चाहिए। स्ट्रोक के प्रथम 24 घंटों के भीतर समय पर इलाज से नुकसान को दूर करने का 70 फीसद मौका मिलता है। यह एक घातक रोग है इसलिए नीम हकीम के चक्कर में ना पड़े और जल्द से जल्द किसी अच्छे चिकित्सक के संपर्क मैं आकर अपना इलाज कराएं।