हिसक झड़प के बीच तीन दिवसीय झंडोत्सव का समापन

सीतामढ़ी। पुलिस-पब्लिक झड़प और हिसा की छिटपुट वारदातों के बीच सोमवार को थाना क्षेत्र के कमलदह गांव में आयोजित तीन दिवसीय महावीरी झंडोत्सव का समापन हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 12:14 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 12:14 AM (IST)
हिसक झड़प के बीच तीन दिवसीय झंडोत्सव का समापन
हिसक झड़प के बीच तीन दिवसीय झंडोत्सव का समापन

सीतामढ़ी। पुलिस-पब्लिक झड़प और हिसा की छिटपुट वारदातों के बीच सोमवार को थाना क्षेत्र के कमलदह गांव में आयोजित तीन दिवसीय महावीरी झंडोत्सव का समापन हो गया। कमलदह स्थित ढाई एकड़ सरकारी जमीन में आयोजित झंडा में कमलदह, धर्मपुर, कोरिगमा, गगनपुर व कमलपुर आदि दर्जनों गांवों से आए झंडे का मिलान किया गया। इस अवसर पर मेले का आयोजन किया गया। इसमें राम हिलोरा, मौत का कुआं व मीना बाजार आदि आकर्षण का केंद्र बना रहा। मेले में कमलदह, माधोपुर, विशनपुर, रामनगर, बथनाहा, योगिबाना, मझौलिया, बैरहा बराही व पचगछिया सहित दर्जनों गांवों के हजारों महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस दौरान पूरा इलाका जय श्रीराम, जय हनुमान और जय शिव जय शिव के जयकारों से गूंजता रहा। मेले में अहले सुबह हजारों की भीड़ उमड़ी, लेकिन लाठीचार्ज के बाद मेले की रौनक गुम हो गई। बताते चलें कि यहां महावीरी झंडा का आयोजन वर्ष 1952 से किया जाता है। 81 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक नेवालाल सिंह व महेशी सिंह के अनुसार ग्रामीण महावीर सिंह को दो पुत्री थी। पुत्र नहीं था। उन्होंने अपनी एक पुत्री की शादी दरभंगा जिले के धनुकी गांव के रुदल सिंह के साथ की थी। पुत्र प्राप्ति को लेकर रुदल सिंह अपनी सास फेंकनी देवी के सहयोग से वर्ष 1952 में पहली बार झंडोत्सव का आयोजन किए थे। तब से यहां प्रत्येक साल शरद पूर्णिमा पर हनुमान जी की मूर्ति का निर्माण करा कर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। जबकि, दूसरे दिन महावीरी झंडोत्सव मनाया जाता है। तीसरे दिन झंडों का मिलान होता है। आयोजन को लेकर एसडीओ सदर कुमार गौरव, एसपी अभियान विजय शंकर सिंह, थानाध्यक्ष रणवीर कुमार झा, नगर थानाध्यक्ष प्रभात रंजन सक्सेना, अवर निरीक्षक शिव शंकर सिंह झंडा समिति अध्यक्ष वीरेंद्र महतो, भाजपा नेता माधवेंद्र सिंह, उमेश प्रसाद, पैक्स अध्यक्ष रामलगन सिंह, मुखिया रिकी देवी, वीरेंद्र कुमार, सेवा निवृत्त फौजी जय किशोर सिंह व नरेंद्र कुमार आदि मौजूद थे। जबकि 40 स्थानों पर 80 दंडाधिकारी, सैप, महिला और पुलिस सशस्त्र बल भी तैनात रहे।

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