कोरोना काल में कोबरा का बढ़ गया खतरा, जनवरी से 214 लोगों को सांप ने डंसा
सीतामढ़ी। कोरोना काल में कोबरा का खतरा भी एकबारगी बढ़ चला है। लॉकडाउन में लोग घरों में हैं तो सांप भी दहशत का पर्याय बन चुके हैं।
सीतामढ़ी। कोरोना काल में कोबरा का खतरा भी एकबारगी बढ़ चला है। लॉकडाउन में लोग घरों में हैं तो सांप भी दहशत का पर्याय बन चुके हैं। बेमौसम बरसात के चलते इस बार सांप भी बिलों से निकलकर सूखे स्थानों की ओर तेजी से भाग रहे हैं। जहरीले सांपों के काटने से लोगों की मौतें होनी शुरू हो गई हैं। बरसात का पानी खेतों में, झाड़ी और बिलों में भर जाता है जिसके कारण इन बिलों में रहने वाले जहरीले जीव अपनी जान बचाने के लिए सूखे स्थानों की तरफ भाग रहे हैं और अक्सर रिहायशी इलाको में घर और मकान के अंदर प्रवेश कर जाते हैं7 इन परिस्थितियों में उनका सामना मनुष्य और पशुओं से होता है और अपने ऊपर खतरा महसूस होते ही यह जहरीले जानवर हमलावर होते हैं। जिसकी कीमत इंसान को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है7 ओझा गुनी के चक्कर में होती अधिक मौतें
सदर अस्पताल के कर्मी रमेश कुमार बताते हैं कि जनवरी से अब तक तकरीबन सर्पदंश के 214 मामले सामने आए हैं। जिनमें पिछले 2 मई को एक मौत हुई है। सर्पदंश मामले में केवल 17 लोगों को एंटी-वेनम सीरम (एवीएस)चलाया गया। जिसमें सभी स्वस्थ हो गए। रमेश ने बताया कि सर्पदंश की दवा सीतामढ़ी के हर पीएचसी में उपलब्ध है। सदर अस्पताल में भी पर्याप्त मात्रा में वायल उपलब्ध है। सर्पदंश के मामले में कभी-कभी लोग ओझा-गुनी के चक्कर में पड़ जाते हैं जिसके चलते भी मौतें होती हैं। पीड़ित की स्थिति बहुत बिगड़ जाती है। वैसे तो कई ऐसे सर्प भी होते हैं जिनके पास जहर नहीं होता है। लेकिन, एहतिहात के तौर पर सर्पदंश से पीड़ित मरीज को इंजेक्शन देना पड़ता है। उनकी जांच भी होती है। मामला अधिक बिगड़ने पर बड़े अस्पतालों में तुरंत रेफर किया जाता है।