समाज के अक्स और नक्श बदलने में साहित्य की भूमिका अहम
सीतामढ़ी। जनवादी लेखक संघ के तत्वावधान में बुधवार की शाम डुमरा प्रखंड के बाजितपुर में विचार-गोष्ठी सह कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सीतामढ़ी। जनवादी लेखक संघ के तत्वावधान में बुधवार की शाम डुमरा प्रखंड के बाजितपुर में विचार-गोष्ठी सह कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व विधायक सुनील कुमार कुशवाहा, डॉ.सुबोध कुमार, शिक्षाविद रामबाबू सिंह, सेवानिवृत दारोगा राम विनय महतो एवं अभिनव आनंद शिशु द्वारा पौधारोपण कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जलेस के मुजफ्फरपुर जिलाध्यक्ष डॉ. राम ललित सिंह ने की। मंच संचालन राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान से सम्मानित गीतकार गीतेश ने किया। विचार-गोष्ठी में वक्ताओं ने साहित्य की महती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य समाज के अक्स और नक्श दोनों को बदलने का काम करता है। साहित्य समाज का दर्पण है। वर्तमान दौर में साहित्यकारों की जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ गई है। उन्हें अपनी धारदार कलम से अलख जगाना होगा। इससे ही बदलाव आएगी। वक्ताओं में मधुबनी से आए शिक्षाविद रत्नेश्वर ठाकुर, मुजफ्फरपुर से आए प्रो. हरिनाम दास एवं भाग्य नारायण सिंह आदि प्रमुख थे। द्वितीय सत्र में कवि-सम्मेलन का आगाज गीतकार गीतेश की रचना 'रेत के सीने में पानी की धारा ढूंढ लेते है,अपने हुनर से भंवर में किनारा ढूंढ लेते हैं,जिदगी के उलझे समीकरण में बड़ी सहजता से,ढूंढने वाले सफलता का पहाड़ा ढूंढ लेते हैं' से हुआ। जलेस के सीतामढ़ी जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह की कविता 'कद अभी तक तेरा तारीख ने जानी ही नहीं, तुझमें शोले भी हैं केवल अश्क फिशानी ही नहीं' ने महफ़लि को गति प्रदान की। इसके अलावा सुरेश लाल कर्ण, रमाशंकर मिश्र, कृष्णनंदन लक्ष्य, कमरूद्दीन नादाफ,पंचदेव कुमार तथा डॉ. राम ललित सिंह की रचनाओं ने महफ़लि में इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी।