अनाथ बेचन को अपनों ने ठुकराया तो गैरों का मिला सहारा
बेदर्द जमाने में आज भी इंसानियत जिदा है। जब अपनों ने ठुकराया और जमाने ने जख्म दिया।
सीतामढ़ी। बेदर्द जमाने में आज भी इंसानियत जिदा है। जब अपनों ने ठुकराया और जमाने ने जख्म दिया। तो निराश बेचन की जिदगी में राघव और उसके दो साथी सहयोग को आगे आएं। कहानी किसी फिल्म की नहीं रीगा के 14 वर्षीय किशोर बेचन की हैं। बेचन के माता पिता के मरने के बाद जमीन की लालच में उसके चाचा ने घर से निकाल दिया पेट की आग बुझाने के लिए बेचन दर दर भटकता रहा। थक हार कर सीतामढ़ी स्टेशन रोड स्थित त्रिमूर्ति और भगीरथ होटल में 50- 60 रुपये दिहाड़ी पर बाल श्रम करने को मजबूर हो गया। इस दौरान एक ट्रेन से बैरगनिया जाने के दौरान धक्का-मुक्की में गिर कर जख्मी हो गया। जख्मी होने के बाद जब वापस होटल में काम करने आया तो होटल मालिक ने इसके जख्म को गंभीरता से नही लिया। मामूली दवा खिला कर काम कराने लगा। इस बीच जब उसका जख्म गहरा हो गया तो होटल मालिक ने उसे भगा दिया। वह दो जून की रोटी और इलाज के लिए इधर-उधर भटकने लगा। 25 जून को चकमहिला के राघव व मेला रोड निवासी कुणाल और मनीष की न•ार किशोर बेचन पर पड़ी। उस वक्त वह दर्द से कराह रहा था। दोनों ने चाइल्ड लाइन को भी फोन की लेकिन चाइल्ड लाइन ने भी कोई सुधि नहीं ली तब उसे सदर अस्पताल गए। इमरजेंसी वार्ड में काफी आग्रह करने के बाद। हॉस्पिटल उसे भर्ती कराने के बाद रोज उसकी देख कर रहे हैं। यह खबर जब वायरल होने लगी तब चाइल्ड लाइन हरकत में आया। उसने बाल कल्याण समिति को बेचन की देखरेख इला•ा और बेहतर भविष्य के लिए बाल कल्याण समिति से आग्रह किया। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सुबोध राउत और सदस्य अनिमेष कुमार एवं कुमारी हेमा ने जिलाधिकारी, सिविल सर्जन, तथा जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को पत्र लिखा है।