शिलान्यास के 11 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ अनुमंडलीय अस्पताल का भवन

चुनाव दर चुनाव जनप्रतिनिधि बदलते गए। लेकिन नहीं बदली अनुमंडलीय अस्पताल की तस्वीर।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 12:31 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 12:31 AM (IST)
शिलान्यास के 11 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ अनुमंडलीय अस्पताल का भवन
शिलान्यास के 11 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ अनुमंडलीय अस्पताल का भवन

सीतामढ़ी। चुनाव दर चुनाव जनप्रतिनिधि बदलते गए। लेकिन, नहीं बदली अनुमंडलीय अस्पताल की तस्वीर। शिलान्यास के 11 वर्ष बीत गए। बावजूद इसके अभी तक 75 बेड वाले अनुमंडलीय अस्पताल भवन का निर्माण कार्य नहीं हो सका। इस मामले में भवन निर्माण कंपनी की लापरवाही और सिस्टम की उदासीनता सामने आ रही है। कोर्ट के आदेश के बाद भी न तो संवेदक को शेष राशि व जुर्माने की राशि का भुगतान हो रहा है और ना ही कार्य पूरा कर अस्पताल भवन को स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द किया जा रहा। लिहाजा इस विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा हवा का रुख तय कर सकती है। मुख्यमंत्री ने किया था शिलान्यास : अनुमंडल में पीएचसी के बोझ को कम करने के उद्देश्य से एक आधुनिक बहुमंजिले अस्पताल की नींव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी। उन्होंने 3 फरवरी 2009 को सिनेमा हॉल मैदान में आयोजित चुनावी सभा मे मंच से ही इसका शिलान्यास किया था। हालांकि अनुमंडलीय अस्पताल की स्वीकृति वर्ष 2005 में ही मिली। इसके बाद वर्ष 2006 की निविदा में अस्पताल निर्माण कार्य का जिम्मा अवंतिका कंस्ट्रक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को मिला। भूमि जिला परिषद की होने के कारण जिला परिषद द्वारा भूमि के बदले सरकारी कीमत के तहत राशि की मांग की गई। इस तकनीकी पेच के बाद तत्कालीन विधायक सह मंत्री शाहिद अली खां के प्रयास से निविदा के 3 साल बाद सीतामढ़ी पथ में पेट्रोल पंप के सामने कब्रिस्तान के बगल में भूमि उपलब्ध कराई गई। महज 18 माह में बनना था अस्पताल : बताया जाता है कि करीब 3.66 करोड़ की लागत से इस अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण प्रारंभ के अठारह माह अवधि में पूरा किया जाना था। लेकिन, भूमि उपलब्धता में देरी के कारण तीन साल बिलंब से कार्य शुरू हुई। 2 अप्रैल 2011 को भवन के ग्राउंड फ्लोर तक निर्माण कार्य पूरा कर भवन निर्माण विभाग से पैसे की मांग की गई। विभाग द्वारा संवेदक को कुल राशि में महज 3.18 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया। साथ ही निर्माण के शेष कार्य पर रोक लगा दी गई। बाद में संवेदक द्वारा किए गए कार्य की शेष राशि की मांग विभाग से की जाने लगी। ऐसा नही होते देख संवेदक ने वर्ष 2013 में पटना कोर्ट में मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद पिछले साल आए फैसले में कोर्ट ने 3 माह में 6.50 फीसद ब्याज के साथ संवेदक को करीब 72 लाख रुपये भुगतान उपलब्ध कराकर भवन को अपने अधीन कर लेने का आदेश विभाग को दिया।

कहते है अधिकारी : इस संबंध में पूछने पर भवन निर्माण प्रमंडल सीतामढ़ी के कार्यपालक अभियंता रमेश पंडित का कहना है कि ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश के आलोक में संवेदक को भुगतान को लेकर पैसे का डिमांड विभाग से किया जा चुका है। बताया कि इसके लिए प्रयासरत है और अस्पताल भवन के शेष कार्य के लिए प्राक्कलन भी बना कर भेज दिया गया। राशि मिलते ही संवेदक को भुगतान के साथ अग्रेतर सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।

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