बिना प्रयोगशाला प्रैक्टिकल में पास हो रहे छात्र, कैसे बनेंगे विज्ञानी

सीतामढ़ी। विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए जिले के ज्यादातर सरकारी हाई स्कूलों में प्रयोगशाला तो बनी लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं होता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 10:51 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 10:51 PM (IST)
बिना प्रयोगशाला प्रैक्टिकल में पास हो रहे छात्र, कैसे बनेंगे विज्ञानी
बिना प्रयोगशाला प्रैक्टिकल में पास हो रहे छात्र, कैसे बनेंगे विज्ञानी

सीतामढ़ी। विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए जिले के ज्यादातर सरकारी हाई स्कूलों में प्रयोगशाला तो बनी, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं होता है। कहीं उपकरण नहीं हैं तो कहीं शिक्षक ही नहीं हैं। अधिकतर जगहों पर प्रयोगशाला सहायक का पद खाली रहने से विज्ञान के शिक्षक ही प्रयोगशाला में प्रशिक्षण सहित सभी काम देख रहे है। कई स्कूलों में तो प्रयोगशाला बनी ही नहीं है। इस कारण हाईस्कूल और इंटर में साइंस लेकर पढ़ने वाले विद्यार्थी बिना प्रयोगशाला गए पास हो रहे हैं। ऐसे में उनकी जानकारी कैसी होगी, समझा जा सकता है। देश को आगे ले जाने में विज्ञान के योगदान को सभी जानते हैं, लेकिन इस तरह की स्थिति पर सरकार का ध्यान नहीं हैं। इन्हीं बिदुओं को लेकर स्कूल से लेकर जिला शिक्षा कार्यालय तक पड़ताल की गई तो आंकाड़ा चौंकाने वाला आया। विज्ञान के शिक्षकों व प्रयोगशाला सहायक की कमी जिले के विद्यार्थियों में वैज्ञानिक प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं। वे कम संसाधनों व अच्छे मार्गदर्शन के बगैर भी बेहतर कर रहे हैं। लेकिन जिले कुल 40 विद्यालयों में विज्ञान के शिक्षक ही नहीं है। अन्य विधालयों में भी प्रयोगशाला में संसाधन व मार्गदर्शन करने वाले शिक्षक भी नहीं हैं। बेलसंड के श्री गुरू शरण उच्य विद्यालय में प्रयोगशाला कक्ष की स्थिति बेहतर दिखी। जबकि, डुमरा में उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रयोगशाला में विज्ञान प्रयोग की सामग्री व उपस्कर दिखी। प्रधानाचार्य राजीव कुमार पांडेय इसकी वजह शिक्षकों की कमी बताते हैं। इस माध्यमिक विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के पद में एक रिक्त हैं। जिससे एक शिक्षक के जिम्मे ही पढ़ाई के साथ-साथ प्रयोगशाला की भी जिम्मेवारी है। जबकि, उच्च माध्यमिक कक्षा में बॉयोलॉजी, केमेस्ट्री व फिजिक्स विषय के कोई शिक्षक नहीं हैं। जिले में 152 में 112 स्कूलों में प्रयोगशाला के लिए विज्ञान प्रयोग की सामग्री व उपस्कर पूर्व में ही उपलब्ध कराई गई है। शिक्षकों को तत्परता से इसका प्रयोग कराने व बच्चों को शामिल करने की जरूरत है। विभागीय पदाधिकारी द्वारा भी सतत अनुश्रवण करने की जरूरत है। विज्ञान शिक्षकों को भी मिले प्रशिक्षण डीपीओ अमरेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि विज्ञान के शिक्षकों को भी समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। हाई स्कूलों में प्रयोगशालाएं अच्छी हैं। माध्यमिक कक्षा से ही बच्चों में वैज्ञानिक प्रतिभा का विकास होता है। विज्ञान में रचनात्मक क्षमता वाले बाल वैज्ञानिकों को गाइडलाइन देने की जरूरत है। शिक्षक सिलेबस से ज्यादा कुछ बताने से कतराते हैं। प्रयोगशालाओं में सामग्री व उपकरण उपलब्ध हैं। बच्चों में वैज्ञानिक प्रतिभा भरी पड़ी है बस उसे संवारने की जरूरत है। पिछले दो साल में जिले के विभिन्न विधालयों से बिना प्रयोगशाला में प्रशिक्षण लिए ही 38875 विद्यार्थिों ने परीक्षा पास कर ली है। जिसमें सत्र 2019-20 में 17744 व सत्र 2020-21 में 21131 छात्रों ने पास की। छात्र अमन कुमार ने बताया कि वो परिहार उत्क्रमित विद्यालयों में 10 वीं में पढ़ाई कर रहा है। अब तक प्रयोगशाला देखा ही नहीं। ममता कुमारी ने कहा कि उनके विधायल में प्रयोगशाला काफी बेहतर है वो नियमित उपकरणों से नई- नई चीजें सीखती है।

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